बीकानेर: दीपोत्सव के बीच बढ़े आग से झुलसने के मामले, पीबीएम अस्पताल में 394 मरीज पहुंचे
दीपावली की रौनक के बीच बीकानेर से चिंताजनक खबर सामने आई है। त्योहार की खुशियों के बीच पटाखों और दीयों से लगी आग के कारण पीबीएम अस्पताल में बर्न केसों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। दीपोत्सव के तीन दिनों में अस्पताल में कुल 394 झुलसे हुए मरीज पहुंचे, जिनमें 12 की हालत गंभीर बताई जा रही है। सभी गंभीर मरीजों को तुरंत भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया गया है।
अस्पताल प्रशासन की पूर्व तैयारी से टली बड़ी अनहोनी
दीपावली से पहले ही पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने बर्न और ट्रॉमा मामलों से निपटने के लिए विशेष इंतजाम किए थे। ट्रॉमा सेंटर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल.के. कपिल की देखरेख में चिकित्सकों की टीम ने चौबीसों घंटे ड्यूटी दी। इस दौरान बर्न यूनिट में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को विशेष रूप से अलर्ट पर रखा गया था।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, दीपावली की रात और अगले दो दिनों में सबसे अधिक मरीज पटाखों से झुलसने के मामलों में आए। इनमें अधिकांश मरीज हाथ, चेहरा और आंखों के आसपास झुलसे हुए पाए गए। कई मामलों में कपड़ों में आग लगने से गंभीर जलन हुई।
सामाजिक संस्थाओं ने निभाई बड़ी भूमिका
दीपावली के दौरान बढ़ते हादसों के बीच सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों ने भी राहत कार्य में अहम योगदान दिया। उन्होंने अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों को भोजन, पानी और प्राथमिक मदद उपलब्ध कराई। कई संस्थाओं ने ब्लड डोनेशन और प्लास्टिक सर्जरी वार्ड में सहयोग भी दिया।
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डॉक्टरों ने किया सावधानी बरतने का आग्रह
डॉ. एल.के. कपिल ने बताया कि हर साल दीपावली पर लापरवाही और असावधानी के चलते ऐसे मामले बढ़ जाते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि पटाखों को बच्चों से दूर रखें, और सिंथेटिक कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि ये जल्दी आग पकड़ते हैं। साथ ही, खुले स्थानों पर ही पटाखे जलाने की सलाह दी गई है।
दीपावली की रौनक के बीच राहत का भी माहौल
हालांकि हादसों की संख्या बढ़ी, लेकिन अस्पताल प्रशासन की तत्परता और मेडिकल टीम की मेहनत के चलते कई गंभीर मरीजों को समय रहते राहत मिली। दीपोत्सव के तीनों दिनों में पीबीएम अस्पताल में चिकित्सकीय टीम लगातार सक्रिय रही।