Agnipath scheme के तहत भर्ती हो रहे Agniveers (थल-जल-वायु सेना में चार वर्षीय सेवा के बाद नियमित सेवा में चयनित जवान) के रिटेंशन रेट (चार वर्ष की सेवा के बाद नियमित रूप से बने रहने वालों का प्रतिशत) को वर्तमान 25 % से काफी बढ़ाकर 60 %–75 % तक ले जाने पर विचार चल रहा है।
प्रस्ताव का मुख्य स्वरूप
-
वर्तमान में, अग्निवीरों में से केवल 25 % वही होते हैं जो चार वर्ष की सेवा के बाद नियमित (long term) रूप में सेना में बने रह पाते हैं।
-
अब प्रस्ताव में यह है कि विभिन्न वाहिनी (थल-जल-वायु) में 60 %–70 % तक अग्निवीरों को बने रहने का अवसर मिले, और तकनीकी/विशेषीकृत पदों पर तो 75 % तक रिटेंशन हो सकता है।
-
इस प्रस्ताव में सेवा-अवधि, प्रशिक्षण अवधि, चयन प्रक्रिया, प्रवाह-निष्कासन आदि पहलुओं पर भी समीक्षा हो रही है।
- Advertisement -
प्रस्ताव के पीछे का कारण
-
सेना के वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि केवल 25 % रिटेंशन से अनुभवी कर्मियों की कमी रहेगी और एकाग्रता, संगठन-भाव और टीम स्पिरिट में असर पड़ सकता है।
-
पहली अग्निवीर बैच के चार वर्ष पूरे होने के करीब आ रहे हैं, इस कारण समीक्षा-समय बढ़ रही है।
-
ऑपरेशन-फिल्ड में अग्निवीरों के प्रदर्शन ने इस विचार को बल दिया है कि उनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।
ध्यान देने योग्य बिंदु
-
यह ध्यान दें कि अभी तक यह प्रस्ताव окончित नहीं हुआ है। विभिन्न स्रोतों के अनुसार यह विचार-चर्चा जारी है और लागू होने की तारीख निश्चित नहीं है।
-
पुरानी नियमों के मुताबिक अग्निवीरों की सेवा अवधि चार वर्ष है, और इस अवधि के बाद चयन एवं organisational जरूरतों के हिसाब से उनमें से 25 % नियमित रूप से बने रहते हैं।
-
प्रस्तावित रिटेंशन बढ़ाने के साथ, सेवा-अवधि बढ़ाने, प्रशिक्षण बढ़ाने, प्रतिस्पर्धात्मक चयन प्रक्रिया बेहतर करने जैसे विकल्प भी उठाये जा रहे हैं।
युवाओं के लिए क्या मायने रखता है?
-
यदि यह प्रस्ताव सफल होता है, तो अग्निवीर बनने वालों को चार वर्ष के बाद नियमित सेवा में चुने जाने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
-
इसका मतलब यह होगा कि युवाओं की सेना में नौकरी-सुरक्षा (career stability) बेहतर होगी।
-
लेकिन चूंकि अभी नियम में बदलाव आधिकारिक रूप से नहीं घोषित हुआ है, इसलिए अग्निवीर बनने के इच्छुक युवाओं को अस्थिरता के मद्देनज़र पूरी जानकारी तथा तैयारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए।