भारतीय रेलवे में तकनीकी क्रांति: अब खुद बताएंगी ट्रेनें कहां है तकनीकी खामी
जयपुर | 18 अक्टूबर 2025 — भारतीय रेलवे अब केवल पटरियों पर नहीं, बल्कि तकनीक के पथ पर भी तेज़ी से दौड़ रही है। सुरक्षा, निरीक्षण और संचालन में सुधार लाने के लिए रेलवे ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) और मशीन विजन तकनीक को अपनाकर एक नई क्रांति की शुरुआत की है।
अब चलती ट्रेनें खुद यह जानकारी देंगी कि उनमें कौन सा पुर्जा ढीला है, पहिए कितने घिस चुके हैं या कोई उपकरण लटका हुआ है। यह सब होगा बिना रुके और बिना छुए, यानि पूरी तरह से कॉन्टैक्टलेस रियल टाइम मॉनिटरिंग के ज़रिए।
चार जगह शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
रेलवे ने चार प्रमुख मंडलों में मशीन विजन आधारित निरीक्षण प्रणाली (MVIS) का पायलट परीक्षण शुरू कर दिया है:
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तुगलकाबाद (कोटा मंडल)
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माउदा (नागपुर मंडल)
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विजयनगरम खंड (विशाखापत्तनम मंडल)
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तोरणगल्लु (हुबली मंडल)
ये सिस्टम हाई-रेजोल्यूशन कैमरा और सेंसर की मदद से चलती ट्रेनों में लटके हुए पुर्जों, टूटे पार्ट्स और गायब उपकरणों की पहचान करेंगे, जिससे सुरक्षा में ज़बरदस्त इजाफा होगा।
पहियों की सेहत का मिलेगा पूरा ब्यौरा, बिना छुए
रेलवे और दिल्ली मेट्रो ने मिलकर चार स्थानों पर ऑटोमैटिक व्हील प्रोफाइल मापन प्रणाली स्थापित की है:
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लोकमान्य तिलक टर्मिनस डिपो (मुंबई)
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आनंद विहार टर्मिनल डिपो (दिल्ली)
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तुगलकाबाद माल डिब्बा डिपो (दिल्ली)
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पंडित दीन दयाल उपाध्याय माल डिब्बा डिपो (बिहार)
यह तकनीक चलती ट्रेन के पहियों का माप और घिसाव का स्तर रियल टाइम में रिकॉर्ड करती है, जिससे समय रहते रखरखाव हो सकेगा और दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी।
यात्री सेवाओं में भी AI का बढ़ता उपयोग
भारतीय रेलवे ने यात्री सुविधा और परिचालन के क्षेत्र में भी AI को अपनाया है:
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रेल मदद ऐप के ज़रिए शिकायत निपटान
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मालगाड़ियों के आगमन और लदान का पूर्वानुमान
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13 भाषाओं में सेवा समाधान, डिजिटल इंडिया के भाषिणी प्रोजेक्ट के तहत
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आरक्षण प्रणाली में सटीकता और गति
IITs से करार, जनरेटिव AI का होगा इस्तेमाल
रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (CRIS) ने IIT दिल्ली और IIT मुंबई के साथ साझेदारी की है ताकि जनरेटिव AI को रेलवे संचालन, यात्री सेवाओं और मालवहन के क्षेत्र में प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
इसके अलावा, Dedicated Freight Corridor Corporation of India (DFCCIL) के साथ MoU साइन किया गया है जिससे MVIS तकनीक को फ्रेट ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।
हाथियों से टकराव रोकने के लिए AI अलर्ट सिस्टम
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 141 किलोमीटर लंबे सेक्शन में एक विशेष AI आधारित घुसपैठ पहचान प्रणाली लगाई गई है। यह प्रणाली रेल पटरियों के पास हाथियों की मौजूदगी को तुरंत पहचान कर लोको पायलट और स्टेशन मास्टर को अलर्ट भेजती है, जिससे टकराव रोका जा सके।
निष्कर्ष: तकनीकी प्रगति से सुरक्षा और दक्षता दोनों में सुधार
भारतीय रेलवे की यह पहल केवल तकनीकी विकास नहीं, बल्कि सुरक्षा, भरोसे और दक्षता के नए मानदंड स्थापित कर रही है।
जनरेटिव एआई, मशीन विजन, और स्मार्ट मॉनिटरिंग जैसे अत्याधुनिक उपकरण अब ट्रेन संचालन का अभिन्न हिस्सा बन रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह तकनीक ना केवल रेलवे को आधुनिक बनाएगी बल्कि यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और स्मार्ट यात्रा अनुभव भी देगी।