रूसी सेना में जबरन भर्ती: भारतीय नागरिक मोहम्मद अहमद की रिहाई के लिए भारत सरकार का सख्त रुख
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां हैदराबाद निवासी मोहम्मद अहमद को धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। अहमद रूस में नौकरी की तलाश में गया था, लेकिन एक एजेंट के झांसे में आकर वह सीधे युद्ध क्षेत्र में पहुंचा दिया गया। इस पूरे मामले पर अब भारत सरकार ने मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के जरिए कड़ा संज्ञान लिया है और रूसी प्रशासन से युवक की तत्काल रिहाई की मांग की है।
धोखे से नौकरी के नाम पर भेजा गया युद्ध में
अहमद की पत्नी अफशा बेगम ने बताया कि वह एक निजी एजेंट के माध्यम से नौकरी के लिए रूस गए थे। वहां पहुंचने पर उन्हें जबरन सेना के एक कैंप में हथियारों की ट्रेनिंग दी गई और फिर सीमा पर तैनात कर दिया गया। इस दौरान अहमद ने रूस से एक वीडियो संदेश जारी कर मदद की गुहार भी लगाई थी।
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया मामला
हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस गंभीर मुद्दे को विदेश सचिव विक्रम मिस्री के समक्ष उठाया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए अहमद की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे।
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भारतीय दूतावास का सक्रिय हस्तक्षेप
मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के काउंसलर ताडू मामू ने ओवैसी को पत्र लिखकर जानकारी दी कि दूतावास ने अहमद से जुड़ी सूचना रूसी सैन्य अधिकारियों के साथ साझा की है। इसके साथ ही उन्होंने सेना से अहमद को तुरंत मुक्त करने और सुरक्षित भारत वापस भेजने का आग्रह किया है।
दूतावास ने यह भी स्पष्ट किया कि रूसी सेना में फंसे भारतीय नागरिकों के सभी मामलों पर उच्च प्राथमिकता के साथ काम किया जा रहा है।
अब तक कितने भारतीय फंसे हैं?
हाल के महीनों में सामने आए कई मामलों में यह पता चला है कि कुछ एजेंट भारत के युवाओं को रूस में नौकरी का झांसा देकर युद्ध क्षेत्र में पहुंचा रहे हैं। इन युवकों को सेना की ड्यूटी देकर उन्हें रूसी-यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किया जा रहा है।