राजस्थान: फर्जी कंप्यूटर डिग्री और अमान्य खेल प्रमाण पत्र पर चार कनिष्ठ लिपिकों की सेवा समाप्त
बीकानेर, 16 अक्टूबर 2025 – कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2013 के तहत बीकानेर जिले में नियुक्त किए गए चार कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया है, क्योंकि वे आवश्यक योग्यता मानदंड को पूरा नहीं कर सके। इनमें से तीनों की कंप्यूटर योग्यता डिग्री फर्जी पाई गई, जबकि एक को मिला खेल प्रमाण पत्र मान्य स्तर का नहीं था।
इन पंचायत समितियों से हटाए गए कर्मचारी
सीईओ जिला परिषद सोहनलाल ने पुष्टि की कि जिन चार कनिष्ठ लिपिकों को पद से हटाया गया है, वे इन पंचायत समितियों में कार्यरत थे:
-
सागरमल भांभू, पुत्र खेमाराम भांभू – पंचायत समिति पांचू
-
खुशालचंद, पुत्र भूपाराम – पंचायत समिति पूगल
- Advertisement -
-
सुमन कुमारी, पुत्री राजेन्द्र सिंह – पंचायत समिति खाजूवाला
-
वैभव भाटी, पुत्र धूमल भाटी – पंचायत समिति बीकानेर
तीन कर्मचारियों की कंप्यूटर डिग्री संदिग्ध पाई गई
जांच में सामने आया कि सागरमल भांभू, खुशालचंद और सुमन कुमारी ने कंप्यूटर योग्यता के लिए महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मेघालय से डिग्री ली थी। उन्होंने इन डिग्रियों को नियमित पाठ्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन रिकॉर्ड से यह स्पष्ट हुआ कि उसी समयावधि में उनके पास अनुभव प्रमाण पत्र भी थे, जिससे यह प्रमाणित होता है कि वे ऑफ-कैंपस डिग्री कर रहे थे।
निष्कर्ष: यह डिग्रियां मान्य नहीं मानी गईं और फर्जी करार दी गईं।
वैभव भाटी का खेल प्रमाण पत्र भी अमान्य घोषित
बीकानेर पंचायत समिति के कनिष्ठ लिपिक वैभव भाटी का चयन खेल कोटे के अंतर्गत किया गया था। लेकिन जांच में पाया गया कि उन्होंने जो खेल प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, वह सक्षम प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित नहीं था। इसके चलते उनका चयन योग्यता की दृष्टि से अमान्य घोषित किया गया।
जिला स्थापना समिति की बैठक में दी गई थी सुनवाई
9 अक्टूबर 2025 को जिला परिषद की स्थापना समिति की बैठक में चारों कार्मिकों को सुनवाई का अवसर दिया गया था। लेकिन वे अपनी योग्यता को साबित नहीं कर सके। इसके बाद समिति ने सर्वसम्मति से सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया।
सीईओ सोहनलाल के निर्देशानुसार संबंधित पंचायत समिति के विकास अधिकारियों द्वारा सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
भविष्य के लिए क्या सबक?
यह कार्रवाई एक सख्त संदेश है कि फर्जी दस्तावेज़ या अप्रमाणित योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों को लंबे समय बाद भी जांच के दायरे में लाया जा सकता है।
सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और मेरिट को प्राथमिकता देना प्रशासन की प्राथमिकता है।