डोनाल्ड ट्रंप का दावा: “टैरिफ की धमकी से भारत-पाक युद्ध टला, नहीं तो हालात बिगड़ते”
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सनसनीखेज दावा किया है कि उनके हस्तक्षेप और सख्त व्यापारिक चेतावनियों के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध टल गया। एक हालिया कार्यक्रम में बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि अगर उन्होंने दोनों देशों को 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी न दी होती, तो शायद हालात काफी खतरनाक मोड़ ले सकते थे — यहां तक कि परमाणु संघर्ष तक पहुंच सकते थे।
व्यापार के जरिए वैश्विक संकटों पर नियंत्रण: ट्रंप
ट्रंप ने अपने भाषण में व्यापार और टैरिफ को अमेरिका की सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि यही रणनीति उन्होंने वैश्विक संघर्षों को रोकने में इस्तेमाल की। उन्होंने कहा,
“हमने व्यापार के जरिए कई युद्धों को टाला है। भारत और पाकिस्तान के बीच भी एक गंभीर तनाव की स्थिति थी। सात विमान गिराए गए थे और माहौल बेहद संवेदनशील हो चुका था।”
ट्रंप का हस्तक्षेप: सीधा संदेश, सीधी चेतावनी
पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी, तब उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया।
“मैंने उनसे पूछा — अगर युद्ध होगा तो व्यापार कैसे होगा? अमेरिका के साथ आपका व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा। फिर मैंने कहा, अगर तुम युद्ध नहीं रोकते, तो अमेरिका में तुम्हारे उत्पादों पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे,” ट्रंप ने दावा किया।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस धमकी का दोनों देशों पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने टैरिफ की चेतावनी को गंभीरता से लिया और तनाव कम करने के प्रयास तेज कर दिए।
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परमाणु हथियारों की आशंका: “खतरनाक स्थिति टाली गई”
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा कि उस वक्त भारत और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु हथियार थे और युद्ध की स्थिति में इसका इस्तेमाल संभव था।
“परमाणु हथियार बहुत खतरनाक होते हैं। उनके असर से सिर्फ दो देश नहीं, पूरी दुनिया प्रभावित होती है,” ट्रंप ने कहा।
उनके मुताबिक, व्यापारिक दबाव के चलते दोनों देश पीछे हटे और युद्ध की संभावना खत्म हुई। उन्होंने इस घटनाक्रम को अमेरिका की कूटनीतिक सफलता करार दिया।
कितना सच, कितना दावा?
हालांकि ट्रंप इससे पहले भी ऐसे दावे कर चुके हैं, लेकिन भारत या पाकिस्तान की ओर से इस तरह के किसी अमेरिकी हस्तक्षेप की औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है। फिर भी ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान मुख्यतः अमेरिका की चुनावी राजनीति और ट्रंप की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत दिखाने की कोशिश हो सकती है।