बीकानेर के नोखा में बड़ी पुलिस कार्रवाई: बिना वेरिफिकेशन रह रहे 84 लोग पकड़े, सुरक्षा पर गंभीर सवाल
बीकानेर।
नोखा पुलिस ने शुक्रवार को जिले की अब तक की सबसे बड़ी वेरिफिकेशन कार्रवाई करते हुए 84 ऐसे लोगों को पकड़ा, जो बिना किसी कानूनी पहचान या पुलिस वेरिफिकेशन के वर्षों से शहर में रह रहे थे। यह सभी लोग पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आकर नोखा में स्थायी रूप से रह रहे थे, और हैरानी की बात यह है कि इन्हें आधार कार्ड, पासपोर्ट जैसी महत्वपूर्ण सरकारी पहचान भी जारी कर दी गई थी।
कैसे बने दस्तावेज, कैसे मिली विदेश यात्राओं की अनुमति?
पुलिस की इस कार्रवाई ने जितने अवैध प्रवासियों को बेनकाब किया, उससे कहीं ज्यादा गंभीर सवाल प्रशासनिक व्यवस्था पर उठाए हैं। आखिर बिना पते के प्रमाण, बिना स्थानीय वेरिफिकेशन के आधार कार्ड और पासपोर्ट कैसे जारी हो गए?
कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां इन बिना वैध दस्तावेजों वाले लोगों ने विदेश यात्राएं तक कर लीं। क्या पासपोर्ट ऑफिस, आधार केंद्र और आव्रजन विभाग की निगरानी प्रणाली पूरी तरह फेल हो चुकी है?
स्थानीय व्यापारियों ने इन्हें सौंप दी दुकानें और गोदाम
जांच में यह भी सामने आया है कि इन अवैध रहवासियों को नोखा के बाजार में गहनों की दुकानों, कारखानों और गोदामों की जिम्मेदारी तक सौंप दी गई थी। कई व्यापारी इन पर भरोसा कर आर्थिक और भौतिक सुरक्षा को खतरे में डाल चुके हैं।
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बीते कुछ महीनों में लूट, चोरी, फायरिंग और हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं — क्या इन अपराधों के पीछे इन्हीं असत्यापित लोगों का हाथ तो नहीं?
जिलेभर में कितने और ऐसे लोग?
अगर सिर्फ नोखा में 84 लोग पकड़े गए हैं, तो सवाल यह है कि बीकानेर जिले के अन्य क्षेत्रों में ऐसे कितने लोग रह रहे होंगे? क्यों अब तक कोई व्यापक वेरिफिकेशन ड्राइव नहीं चलाई गई? क्या पुलिस और प्रशासन की नजरें जानबूझकर मूंदी हुई थीं, या फिर यह प्रणालीगत विफलता का उदाहरण है?
कानून विशेषज्ञों की राय: असत्यापित प्रवासियों से बढ़ रहा अपराध का खतरा
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि बाहर से आकर बसे मजदूर, घरेलू कर्मचारी और अन्य प्रवासी अगर बिना पुलिस वेरिफिकेशन के रह रहे हैं, तो यह आने वाले समय में अपराधों का सबसे बड़ा स्रोत बन सकता है।
अब जरूरत है जमीनी कार्रवाई की — हर मोहल्ले, वार्ड और गली में ठोस वेरिफिकेशन अभियान चलाया जाए, साथ ही मकान मालिकों और व्यापारियों को भी कानूनी दायित्व में शामिल किया जाए, जो बिना जांच के लोगों को काम पर रख रहे हैं।
प्रशासन के लिए चेतावनी का संकेत
नोखा में हुई यह कार्रवाई प्रशासन के लिए सिर्फ एक सफलता नहीं बल्कि एक चेतावनी है। यदि अब भी जिले में ठोस व नियमित सत्यापन प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, तो सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह खतरे में पड़ सकती है।