बीकानेर आयकर विभाग: न अफसर मौजूद, न जवाबदेही, खाली नेमप्लेटें और बंद दरवाज़े
बीकानेर जैसे संभागीय मुख्यालय में आयकर विभाग की स्थिति देखकर यह विश्वास करना मुश्किल है कि यह वही विभाग है जो देश की वित्तीय रीढ़ माना जाता है और जिसके संचालन में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के उच्चाधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। लेकिन यहां की हकीकत लालफीताशाही, बेरुखी और लापरवाही की इमारत जैसी प्रतीत होती है।
बाहर से चमचमाता, भीतर से सूना आयकर कार्यालय
रानी बाजार स्थित बीकानेर का आयकर भवन बाहर से जितना आधुनिक और प्रभावशाली दिखता है, भीतर से उतना ही खाली और बेजान नजर आता है। छह पदों पर IRS अधिकारियों की नियुक्ति का दावा जरूर है, लेकिन मौजूद केवल एक अधिकारी—सहायक आयुक्त एस.आर. सैनी, जिनका व्यवहार न केवल गैर-पेशेवर बल्कि प्रेस विरोधी भी रहा।
प्रधान आयकर आयुक्त की सिर्फ नेमप्लेट, अफसर गायब
प्रधान आयकर आयुक्त पुरुषोत्तम कश्यप, जिनका नाम चमकती प्लेट पर दर्ज है, बीकानेर के प्रभारी हैं, लेकिन कार्यालय में कहीं भी उनकी मौजूदगी का आभास तक नहीं था। जब जवाबदेह अधिकारी हनुमान प्रसाद शर्मा से जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया।
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बाकी अधिकारियों की कहानी और भी चौंकाने वाली
जिन IRS अधिकारियों के नाम नेमप्लेट पर दर्ज हैं—पीआर मिर्धा, ललित बिश्नोई, राकेश सोमोई—उनमें से कोई कार्यालय में उपस्थित नहीं था।
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पीआर मिर्धा ने तो मिलने से ही मना कर दिया और चपरासी को निर्देश दे दिए कि कोई अंदर न आए।
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ललित बिश्नोई, जो श्रीगंगानगर में पदस्थ हैं और बीकानेर का चार्ज भी संभालते हैं, ने फोन कॉल का उत्तर तक देना उचित नहीं समझा।
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शेष अधिकारी जैसे मुकेश कुमार वेद, बसंत जुलाहा, के.के. अरोड़ा, हरिश्चंद्र सिंह—सभी नदारद।
धरना या दिखावा? ऑफिस के भीतर सन्नाटा
फर्स्ट फ्लोर पर धरने के पोस्टर, गद्दे और इनकम टैक्स इंप्लाईज फेडरेशन का बैनर तो दिखा, लेकिन धरने पर कोई कर्मचारी मौजूद नहीं। शाखा सचिव विकेश कुमार कड़वासरा और अंकुश कुमार ने बताया कि उनका विरोध लेखा विभाग द्वारा बिलों के भुगतान में देरी को लेकर है, लेकिन प्रेस से खुलकर बात करने को तैयार नहीं।
प्रशासनिक अनदेखी या अंदरुनी गड़बड़ी?
सभी दरवाजे बंद, अफसर गायब, प्रेस से बचाव की मुद्रा और किसी भी सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं—यह स्थिति न सिर्फ असहज, बल्कि चिंताजनक है। जब देश की वित्तीय व्यवस्था संभालने वाले विभाग की यह हालत हो, तो यह व्यवस्थागत विफलता का गंभीर संकेत है।
प्रेस के पहुंचने पर कार्यालय परिसर में अफसरों और कर्मचारियों के चेहरे पर अनहोनी की आशंका स्पष्ट दिखाई दी। प्रधान आयकर आयुक्त का मोबाइल नंबर तक देने से कार्मिकों ने इनकार कर दिया, जिससे स्पष्ट है कि कुछ छिपाया जा रहा है या कोई डर है।