कोरबा में ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर ठगी, शिकायतों का क्रम बढ़ा
कोरबा (छत्तीसगढ़): जिले में साइबर ठगी का तरीका दिन-प्रतिदिन और उन्नत होता जा रहा है। सितंबर माह में 50 से अधिक शिकायतें साइबर थाना को दर्ज कराई गईं, जिनमें कथित रूप से करीब 86 लाख रुपए की ठगी हुई है।
पुलिस इस गिरोह तक पहुँचने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह हाई‑टेक तरीका इसे पकड़ना आसान नहीं बना रहा है।
ठगी कैसे होती है? तरीका और ओपरेशन्स
-
गिरोह लोगों के मोबाइल नंबर विभिन्न स्रोतों से टेलीग्राम चैनल/ग्रुप में जोड़ता है।
-
ग्रुप में उन्हें आकर्षक शेयर ट्रेडिंग या निवेश योजनाओं का झांसा दिया जाता है।
-
शुरुआत में छोटे निवेश पर फर्जी लाभ दिखाया जाता है जिससे भरोसा बढ़े।
- Advertisement -
-
कुछ समय बाद बड़ी राशि लगाने को कहा जाता है — ₹2 लाख, ₹3 लाख से ऊपर।
-
जब पीड़ित पैसे निकालने का प्रयास करते हैं, तो कहा जाता है कि उन्हें अतिरिक्त राशि जमा करनी होगी या प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
-
इसके बाद वह बाधित कर दिए जाते हैं और बताया जाता है कि “निचले स्तर पर प्रतिबंध” है।
-
जिन खातों में पैसे जमा होते हैं, वे अक्सर फर्जी या म्यूल (माध्यमिक उपयोगकर्ता) खाते होते हैं — जिनका नाम, पते और मोबाइल नंबर सब नकली या चोरी किए गए होते हैं।
सम्बंधित मामले: CG तथा अन्य प्रदेशों में पकड़े गए आरोपियों का उदाहरण
-
बिलासपुर (CG): दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप और शेयर ट्रेडिंग ऐप का इस्तेमाल कर लगभग 14.25 लाख रुपए की ठगी की थी।
-
सुरगुजा (CG): 10% प्रति माह मुनाफा देने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी की गई है।
-
राज्य से बाहर: राउरकेला (ओडिशा) में TradeNow नामक फर्जी ऐप से चलने वाले रैकेट के 9 सदस्य गिरफ्तार हुए। इनमें से कोरबा निवासी एक व्यक्ति भी आरोपी था।
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि कोरबा की ठगी मूवमेंट समान प्रकार की बड़े रैकेट से जुड़ी हो सकती है।
पुलिस की चुनौतियाँ और ठगों की रणनीति
-
फर्जी खाते और म्यूल नेटवर्क — लोग अनजाने में उनके खाते किराए पर देते हैं या नकली KYC दस्तावेजों से खाता खोल देते हैं।
-
हवाला और अंतर-राज्यीय फंड मूवमेंट — राशि जल्दी से एक बैंक से दूसरे बैंक या राज्य से दूसरे राज्य भेजी जाती है।
-
उच्च तकनीक व डिजिटल सुरक्षा — ठग अपने ट्रेल को मिटाने के लिए VPN, अलग-अलग सिम, व फर्जी प्रोफाइल का उपयोग करते हैं।
-
लोर-इन-ट्रस्ट (trust building) — पहले छोटे लाभ दिखाकर, पीड़ित का भरोसा जीतकर बड़े घोटाले अंजाम देते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी और क्या कदम उठाए जा रहे हैं
कोरबा साइबर थाना प्रभारी अजय सोनवानी ने बताया कि ऐसी उच्च तकनीकी ठगी को रोकने के लिए सतर्कता और जागरूकता आवश्यक है।
पुलिस समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती है और जनता से अपील करती है कि वे किसी भी अनजाने लिंक, समूह या निवेश ऑफर को गंभीरता से जाँचे।
सावधानी के उपाय — ठगी से कैसे बचें
-
किसी भी निवेश सलाह को मान्यता प्राप्त स्रोत से क्रॉस-चेक करें।
-
SEBI या संबंधित नियामक द्वारा अधिकृत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ही चुनें।
-
अनजान लिंक, फॉलोअप कॉल, या “नीची दर” ऑफर को संदिग्ध मानें।
-
तुरंत ट्रांजैक्शन पत्ते और बैंक डिटेल साझा न करें।
-
यदि पैसा फंसा हो, सबूत (ट्रांजैक्शन रसीद, स्क्रीनशॉट, चैट लॉग) जमा करें और साइबर थाना या IC3 / राष्ट्रीय साइबरक्राइम पोर्टल पर शिकायत करें।