यूक्रेन में पकड़ा गया भारतीय नागरिक: रूस की सेना में जबरन भर्ती, अब यूक्रेनी सेना के पास सरेंडर
नई दिल्ली/कीव — यूक्रेनी सेना ने दावा किया है कि उसने एक भारतीय नागरिक को अपनी हिरासत में लिया है, जो रूस के लिए युद्ध लड़ रहा था। पकड़े गए युवक की पहचान गुजरात के मोरबी जिले के निवासी 22 वर्षीय माजोती साहिल मोहम्मद हुसैन के रूप में की गई है। इस मामले ने न केवल भारत में चिंता बढ़ाई है, बल्कि रूस में भारतीय नागरिकों की जबरन सैन्य भर्ती की गंभीरता को भी उजागर किया है।
रूस में पढ़ाई से शुरू हुआ सफर, सेना में भर्ती पर खत्म हुआ
हुसैन रूस की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए गया था, लेकिन परिस्थितियों ने उसे युद्ध के मैदान में ला खड़ा किया। यूक्रेनी सेना द्वारा जारी एक वीडियो में हुसैन ने खुलासा किया कि उसे नशीले पदार्थों से जुड़े एक आरोप में रूस में सात साल की सजा हुई थी। जेल में रहते हुए उसे विकल्प दिया गया – या तो सजा पूरी करें या फिर “स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन” के तहत रूसी सेना में शामिल हो जाएं।
हुसैन ने जेल से बचने के लिए सेना में भर्ती होने का विकल्प चुना।
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16 दिन की ट्रेनिंग के बाद भेजा गया युद्ध के मैदान में
हुसैन का कहना है कि उसे सिर्फ 16 दिन की सैन्य ट्रेनिंग के बाद युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया, जहां उसने तीन दिन बिताए। वहां एक सैन्य कमांडर के साथ उसका विवाद हुआ और उसने मौका पाकर यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
उसने बताया, “मैं यूक्रेनी सेना की ट्रेंच पोजिशन तक पहुंचा, अपनी राइफल नीचे रखी और साफ कहा कि मैं युद्ध नहीं करना चाहता। मैंने उनसे मदद मांगी और कहा कि मुझे रूस वापस नहीं जाना, भले ही मुझे यूक्रेन में जेल जाना पड़े।”
ना वेतन, ना वादा निभा पाए रूसी अधिकारी
हुसैन ने आरोप लगाया कि रूसी सेना में भर्ती के समय उसे वेतन और सुविधाएं देने का वादा किया गया था, लेकिन ना कोई भुगतान मिला और ना ही मूलभूत सुविधाएं। उसने कहा कि वहां जो बताया गया, वह सच नहीं था।
यह मामला इस बात की पुष्टि करता है कि किस प्रकार कुछ विदेशी नागरिकों को झूठे वादों और मजबूरियों के चलते रूस की सेना में भर्ती किया जा रहा है।
भारत सरकार कर रही मामले की जांच
दिल्ली स्थित आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि कीव में भारतीय दूतावास इस पूरे मामले की सत्यता की जांच कर रहा है। अभी तक यूक्रेन की ओर से भारत को कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई है।
इससे पहले जनवरी 2025 में भारत सरकार ने संसद को बताया था कि 126 भारतीय नागरिक रूस में ऐसे ही हालात में फंसे थे, जिनमें से 96 वापस आ गए, 12 की मौत हुई, और 16 अब भी लापता हैं।
भारत ने रूस के सामने उठाई चिंता, पीएम मोदी ने भी किया मुद्दा प्रमुखता से पेश
भारत सरकार ने कई बार यह मुद्दा रूस के सामने उठाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने सितंबर में बताया था कि 27 और भारतीय हाल ही में रूसी सेना में जबरन शामिल हुए हैं, जिन्हें वापस लाने की प्रक्रिया जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह मुद्दा BRICS सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने रखा था और इस पर कड़ी चिंता जताई थी।
भारत सरकार की चेतावनी: आकर्षक वादों से बचें
भारत सरकार ने नागरिकों को चेताया है कि आकर्षक नौकरियों और फर्जी एजेंटों के झांसे में आकर रूस न जाएं, क्योंकि वहां जबरन भर्ती और खतरनाक परिस्थितियों में फंसने का खतरा बना हुआ है। यह मामला उस खतरे की एक और पुष्टि है।