जयपुर SMS अस्पताल में आग से मचा कोहराम: लापरवाही ने ली 8 जानें, जांच शुरू
राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात हुआ भीषण अग्निकांड प्रदेश भर में शोक और आक्रोश का कारण बन गया। न्यूरो ICU वार्ड में अचानक लगी आग से 8 मरीजों की मौत हो गई, जबकि कई गंभीर रूप से झुलस गए हैं। घटना के बाद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कई बड़े नेताओं ने शोक जताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
आग की चपेट में आया न्यूरो ICU, 8 मरीजों की मौत
रात करीब 11:20 बजे न्यूरो ICU में धुआं उठना शुरू हुआ, लेकिन अस्पताल स्टाफ की ओर से चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया गया। जब तक फायर अलार्म बजा और दमकल विभाग मौके पर पहुंचा, तब तक पूरा ICU धुएं से भर चुका था। आग इतनी तेजी से फैली कि ICU में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों की प्लास्टिक तक पिघलने लगी।
उस समय ICU में 11 मरीज भर्ती थे और पास के दूसरे वार्ड में 13 अन्य। ऑक्सीजन सपोर्ट हटते ही कई मरीजों की सांसें थम गईं। मृतकों में सीकर, भरतपुर, सांगानेर, जयपुर और आगरा के निवासी शामिल हैं।
चश्मदीदों ने बताया- पहले ही मिला था धुएं का संकेत, स्टाफ ने नहीं दी तवज्जो
भरतपुर के शेरू, जिनकी मां हादसे की चपेट में आईं, ने बताया कि धुआं आग लगने से 20 मिनट पहले ही नजर आ गया था। “हमने वार्ड बॉय और नर्सिंग स्टाफ को चेताया, लेकिन वे मौके से चले गए। प्लास्टिक पिघलने लगी और हम खुद अपने मरीजों को निकालने में लगे रहे,” शेरू ने बताया।
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एक अन्य परिजन ओमप्रकाश ने कहा कि डॉक्टरों को चेताया गया, लेकिन प्रतिक्रिया में देरी हुई। “चार-पांच मरीजों को तो हमने बाहर निकाल लिया, लेकिन बाकी अंदर ही रह गए।”
फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी
फायर ऑफिसर अवधेश पांडे के मुताबिक, अलार्म बजते ही टीम मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक वार्ड में घना धुआं भर चुका था। “बिल्डिंग के पिछले हिस्से से कांच तोड़कर पानी डाला गया। आग पर काबू पाने में डेढ़ घंटे लगे।”
ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि स्टाफ ने अपने स्तर पर फायर उपकरणों से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन जहरीले धुएं ने हालात बिगाड़ दिए।
6 सदस्यीय जांच कमेटी गठित, CM ने दौरा कर दिए निर्देश
राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए चिकित्सा विभाग के आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी में स्वास्थ्य, निर्माण, बिजली और अग्निशमन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा रात ढाई बजे अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा, “किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उन्होंने दिल्ली दौरा रद्द कर तत्काल रिपोर्ट तलब की है।
नेताओं का शोक और प्रशासन पर सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर संवेदना जताते हुए कहा कि जयपुर की इस दुर्घटना से वे अत्यंत दुखी हैं और घायल मरीजों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर कहा कि स्थानीय प्रशासन हरसंभव सहायता में जुटा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, टीकाराम जूली और रफीक खान ने प्रशासन की लापरवाही को हादसे का कारण बताते हुए उच्चस्तरीय जांच और मृतकों के परिजनों को समुचित मुआवजे की मांग की।
परिजन और स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटा, अस्पताल के बाहर प्रदर्शन
हादसे के बाद SMS अस्पताल के बाहर मृतकों के परिजन और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए। लोगों का आरोप है कि समय पर चेतावनी देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। “डॉक्टर कहां हैं?”, “किसी ने कुछ क्यों नहीं किया?”, जैसे सवालों के साथ नाराज भीड़ ने मंत्री और अधिकारियों को घेर लिया।
निष्कर्ष: एक सिस्टम फेलियर, जिसकी कीमत 8 जानों से चुकाई गई
SMS अस्पताल जैसी आधुनिक सुविधा वाले सरकारी संस्थान में आग लगना और समय रहते उस पर काबू न पाया जाना न केवल तकनीकी, बल्कि मानवीय लापरवाही का स्पष्ट संकेत है। धुएं के शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज करना, इमरजेंसी प्रोटोकॉल में देरी और ICU की बंद संरचना—इन सभी कारणों ने इस त्रासदी को और भयावह बना दिया।