नई दिल्ली | अक्टूबर 2025
सिरप से जुड़ी मौतों पर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने के बाद बच्चों की हुई मौतों ने केंद्र को अलर्ट मोड पर ला दिया है। इस संवेदनशील मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा मानकों का अनुपालन और बच्चों के लिए सुरक्षित चिकित्सा प्रथाओं पर विस्तृत चर्चा हुई।
सभी राज्यों को दिए गए अहम निर्देश
स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए कि खांसी की दवाओं, विशेष रूप से बच्चों के लिए, केवल चिकित्सकीय सलाह पर सीमित मात्रा में ही दी जाए। यह भी दोहराया गया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल न दी जाए, जबकि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए उपयोग में अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए। इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए हानिकारक दवाओं पर सावधानी चेतावनी लेबल अनिवार्य करने का फैसला लिया है।
संशोधित शेड्यूल ‘एम’ का पालन जरूरी
बैठक में सभी दवा निर्माता कंपनियों को संशोधित शेड्यूल एम का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया। जिन कंपनियों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया है, उनके लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाने की सिफारिश की गई है। राज्यों को अपने स्तर पर सक्रिय निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली जैसे IDSP-IHIP का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है।
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‘कोल्ड्रिफ’ सिरप पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने तमिलनाडु स्थित सरेशान फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप के खिलाफ कठोर कार्रवाई का निर्णय लिया है। यह निर्णय उन मामलों के बाद आया है जिनमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस सिरप के सेवन से कई बच्चों की मौत हुई। CDSCO ने तमिलनाडु के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को निर्देश दिया है कि कंपनी के खिलाफ गंभीर धाराओं में कार्रवाई की जाए।
केरल और तेलंगाना ने भी इस सिरप के उपयोग को लेकर आम जनता को चेतावनी जारी की है। तेलंगाना सरकार द्वारा जारी विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, इस सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक जहरीला रसायन पाया गया है, जो किडनी फेलियर और मौत का कारण बन सकता है।
मध्य प्रदेश में ‘नेक्स्ट्रो डीएस’ सिरप पर भी प्रतिबंध
मध्य प्रदेश सरकार ने ‘नेक्स्ट्रो डीएस’ सिरप के सैंपलों की जांच के बाद उसकी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री भी रोकी गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए इस प्रतिबंध की घोषणा की।
CDSCO ने अब तक 19 दवाओं के सैंपल लिए हैं, जिनमें सिरप, एंटीबायोटिक्स और बुखार की दवाएं शामिल हैं। जांच प्रक्रिया में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की दवा निर्माण इकाइयों को शामिल किया गया है।
केंद्र की दो टूक: गुणवत्ता से समझौता नहीं
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दवाओं की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। गैर-प्रमाणित, लापरवाह या नियमों को दरकिनार करने वाले किसी भी उत्पादन केंद्र के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
केंद्र सरकार ने इस विषय को लेकर एक व्यापक निगरानी अभियान शुरू किया है, जिसमें राज्य सरकारों, औषधि नियंत्रण अधिकारियों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित किया जा रहा है।


