कन्या पूजन के बीच झाड़ियों में तड़पती मिली नवजात, समाज की संवेदनाओं को झकझोर देने वाली घटना
बीकानेर (लूनकरणसर): एक ओर नवरात्रि में देशभर में कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा जा रहा है, वहीं बीकानेर जिले के लूनकरणसर के कालाबास गांव में एक नवजात बच्ची को झाड़ियों में मरने के लिए छोड़ दिया गया। यह घटना न सिर्फ दिल को झकझोर देने वाली है, बल्कि समाज के दोहरे चेहरे को भी उजागर करती है।
झाड़ियों में पड़ी मासूम को बचाया, हालत गंभीर
घटना की सूचना मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह मौके पर पहुंचे और टाइगर फोर्स टीम की मदद से बच्ची को झाड़ियों से बाहर निकाला। वह चोटिल थी, शरीर पर मिट्टी सनी हुई थी और बेहद कमजोर हालत में थी।
बच्ची को तुरंत लूनकरणसर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसका प्राथमिक उपचार कर उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा।
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स्थिति बिगड़ने पर बीकानेर किया गया रेफर
अस्पताल प्रभारी डॉ. वीरेंद्र मांझु ने बताया कि बच्ची की हालत चिंताजनक थी। झाड़ियों में फेंके जाने के कारण उसके शरीर पर घाव थे और उसे गहन देखभाल की जरूरत थी। अस्पताल में भर्ती एक महिला ने बच्ची को दूध पिलाने की कोशिश की, लेकिन बच्ची ने कुछ नहीं पिया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसे बीकानेर के बड़े अस्पताल रेफर किया गया है। महिपाल सिंह स्वयं मासूम को लेकर बीकानेर रवाना हुए।
नवरात्रि में कन्या को देवी मानने वाले समाज के लिए आईना
इस घटना ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। जब एक ओर कन्याओं के चरण धोकर पूजा की जा रही है, तो दूसरी ओर उसी कन्या को जन्म के साथ ही झाड़ियों में तड़पने के लिए छोड़ देना एक गहरी विडंबना है।
यह घटना सवाल उठाती है कि क्या हमारा कन्या पूजन सिर्फ एक रस्म बन कर रह गया है? क्या हम वाकई कन्याओं को देवी मानते हैं, या यह समाज दिखावे और आडंबर में उलझा हुआ है?
कानूनी कार्रवाई की मांग, पुलिस जांच शुरू
बच्ची को फेंकने वाले अज्ञात लोगों की पहचान के लिए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) और महिला एवं बाल विकास विभाग को भी इस मामले की जानकारी दी गई है।
समाजसेवियों और स्थानीय नागरिकों ने दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है और कहा है कि ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई मासूम इस तरह की निर्ममता का शिकार न हो।


