लेह हिंसा के बाद तनाव गहराया, सोनम वांगचुक एनएसए के तहत गिरफ्तार, इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद
लेह। लद्दाख में राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष संरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने अब गंभीर रूप ले लिया है। शुक्रवार को प्रसिद्ध पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
यह गिरफ्तारी उस भीषण झड़प के अगले ही दिन हुई जिसमें प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों घायल हुए थे। प्रशासन ने लेह में इंटरनेट सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी हैं।
गिरफ्तारी की पुष्टि, लेकिन आरोप स्पष्ट नहीं
सूत्रों के अनुसार, शाम 2:30 बजे लद्दाख पुलिस प्रमुख एस.डी. सिंह जम्वाल के नेतृत्व में सोनम वांगचुक को उनके आंदोलन स्थल से हिरासत में लिया गया। उन्हें पुलिस सुरक्षा में उनके निजी निवास ले जाया गया है। हालांकि, सरकारी स्तर पर अभी तक गिरफ्तारी के कारणों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
केंद्र सरकार ने वांगचुक को ठहराया हिंसा का जिम्मेदार
गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अस्थायी आंतरिक रिपोर्ट में लेह हिंसा के लिए सोनम वांगचुक की भूमिका को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, वांगचुक की भाषणों और आंदोलन के चलते लोगों में “राज्य विरोधी” भावना भड़की, जिससे हालात बिगड़े।
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गौरतलब है कि वांगचुक लेह एपेक्स बॉडी और कर्गिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर लंबे समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे हैं।
वांगचुक ने आरोपों से किया इनकार, हिंसा की की थी निंदा
वांगचुक ने हाल ही में मीडिया से बात करते हुए हिंसा की खुलकर निंदा की थी और कहा था कि उनका आंदोलन पूरी तरह गैर-हिंसक और संवैधानिक दायरे में रहा है। उन्होंने अपना 15 दिवसीय उपवास भी बुधवार को समाप्त किया था।
उनका यह कहना था कि,
“हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगें रख रहे हैं। हिंसा हमारे सिद्धांतों का हिस्सा नहीं है।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया: उमर अब्दुल्ला ने गिरफ्तारी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि,
“जो व्यक्ति शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से जनभावनाओं को आवाज दे रहा है, उसे गिरफ्तार करना लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।”
लेह में तनावपूर्ण माहौल, सुरक्षा बल अलर्ट पर
वर्तमान में लेह के कई हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी गई है। प्रमुख चौराहों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है और सार्वजनिक सभा पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है। प्रशासन ने इंटरनेट बंदी को “एहतियातन कदम” बताया है, लेकिन लोगों में इससे भय और असंतोष का माहौल बन गया है।
पृष्ठभूमि: क्यों उठी है राज्य की मांग
लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही वहां के स्थानीय संगठन और नेता यह मांग कर रहे हैं कि क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी और सांस्कृतिक संरक्षण मिले।
इन संगठनों का कहना है कि क्षेत्र की जनजातीय पहचान, रोजगार और संसाधनों की रक्षा के लिए यह कदम जरूरी है।
