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राजस्थान

राजस्थान को ऊर्जा समृद्ध बनाएगा परमाणु परियोजना, पावर स्टेट बनने की ओर बड़ा कदम

editor
editor Published September 25, 2025
Last updated: 2025/09/25 at 10:10 AM
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माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना: राजस्थान के ऊर्जा भविष्य की नई दिशा

बांसवाड़ा |
राजस्थान में ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना (MBRAPP) कोयला आधारित प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोतों से आगे बढ़ते हुए स्वच्छ, सुरक्षित और दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करेगी। यह परियोजना 2800 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ भारत की परमाणु ऊर्जा योजनाओं में एक बड़ा योगदान देने जा रही है।

Contents
माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा परियोजना: राजस्थान के ऊर्जा भविष्य की नई दिशाप्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) तकनीक से होगा उत्पादनकैसे काम करता है यह रिएक्टर?पर्यावरणीय संतुलन और तापमान नियंत्रणपरियोजना की प्रमुख विशेषताएंभारत के परमाणु ऊर्जा मिशन को मिलेगा बलआसपास के क्षेत्र को भी मिलेगा लाभ

प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) तकनीक से होगा उत्पादन

इस परियोजना में चार रिएक्टर यूनिट होंगे, प्रत्येक में 700 मेगावाट की क्षमता होगी। यह यूनिट्स PHWR तकनीक पर आधारित होंगे, जिसमें प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन और भारी पानी (D₂O) को कुलैंट और मॉडरेटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

PHWR तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह भारत में उपलब्ध प्राकृतिक यूरेनियम संसाधनों का दक्षतापूर्वक उपयोग करती है। साथ ही, यह तकनीक स्वदेशी रूप से विकसित की गई है, जिससे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।


कैसे काम करता है यह रिएक्टर?

  • क्रिटिकल अवस्था: रिएक्टर को इस अवस्था में रखा जाएगा जहां न्यूट्रॉन उत्पादन और क्षय संतुलन में रहता है। इससे निरंतर और स्थिर चेन रिएक्शन संभव होती है।

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  • सुगरक्रिटिकल स्टेज: स्टार्टअप के समय रिएक्टर थोड़ी देर के लिए तीव्रता से पावर जेनरेट करता है और फिर क्रिटिकल अवस्था में स्थिर हो जाता है।

  • सुरक्षा उपाय: कंट्रोल रॉड्स, इमरजेंसी कूलिंग सिस्टम और मॉडरेशन व्यवस्था के साथ रिएक्टर को सुरक्षित और नियंत्रित रखा जाएगा।


पर्यावरणीय संतुलन और तापमान नियंत्रण

रिएक्टर में उत्पन्न होने वाला गर्म पानी कूलिंग टॉवर में ठंडा किया जाएगा, जिससे इसका तापमान सामान्य स्तर (30–40°C) पर लाया जाएगा। यह प्रक्रिया पर्यावरणीय मानकों के तहत की जाएगी ताकि स्थानीय पारिस्थितिकी पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।


परियोजना की प्रमुख विशेषताएं

क्रमांक विवरण जानकारी
1 परियोजना नाम माही-बांसवाड़ा राजस्थान एटोमिक पावर प्रोजेक्ट (MBRAPP)
2 कुल लागत ₹42,000 करोड़
3 उत्पादन प्रारंभ वर्ष 2033 से
4 तकनीक PHWR (प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर)
5 ईंधन प्राकृतिक यूरेनियम
6 कुलैंट एवं मॉडरेटर भारी पानी (D₂O)
7 भूमि क्षेत्र 60 हेक्टेयर (आवासीय क्षेत्र)
8 ग्रीन बेल्ट 205.59 हेक्टेयर (33%)
9 संचालनकर्ता NPCIL (अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड)
10 भविष्य योजना एक अतिरिक्त रिएक्टर की संभावना
11 राष्ट्रीय स्थिति भारत का 8वां परमाणु ऊर्जा संयंत्र

भारत के परमाणु ऊर्जा मिशन को मिलेगा बल

भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में NPCIL देश में 24 रिएक्टरों के माध्यम से 8780 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रहा है। वर्ष 2031-32 तक इसे बढ़ाकर 22,480 मेगावाट करने की योजना है। माही-बांसवाड़ा परियोजना इस दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगी।


आसपास के क्षेत्र को भी मिलेगा लाभ

परमाणु ऊर्जा परियोजना के अतिरिक्त, बांसवाड़ा और आसपास के जिलों में कई अन्य परियोजनाओं का लोकार्पण प्रस्तावित है, जिनमें शामिल हैं:

  • 1400 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं

  • 925 मेगावाट नोख सोलर पार्क (₹10,710 करोड़)

  • 895 मेगावाट विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्र (₹3,132 करोड़)

  • धौलपुर, ईसरदा, बत्तीसानाला सिंचाई परियोजनाएं (₹2,365 करोड़)

  • 7 सड़क निर्माण कार्य (₹1,758 करोड़)

  • 220 केवी जीएसएस और ट्रांसमिशन लाइनें (₹142 करोड़)

  • सीवरेज एवं जलप्रदाय योजनाएं (डीडवाना, कुचामन, झुंझुनूं में ₹226 करोड़)


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editor September 25, 2025
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