उमर अब्दुल्ला का केंद्र पर हमला: जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा सिर्फ BJP की जीत से जोड़ा गया
श्रीनगर, 24 सितंबर:
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा सिर्फ तभी लौटाएगा जब वहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार बनेगी। अब्दुल्ला का यह बयान घाटी में राजनीतिक हलचल को फिर से तेज कर सकता है।
राज्य का दर्जा बीजेपी की सरकार से क्यों जोड़ा गया?
मीडिया से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा,
“ऐसा प्रतीत होता है कि जब तक जम्मू-कश्मीर में भाजपा सरकार नहीं बना लेती, तब तक हमें राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। यह लोगों के साथ सीधा अन्याय है।”
- Advertisement -
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता ने चुनाव में भाग लेकर लोकतंत्र में भरोसा जताया, लेकिन भाजपा के हारने के कारण पूरे प्रदेश को सज़ा दी जा रही है।
परिसीमन, चुनाव हो चुके — फिर राज्य का दर्जा क्यों नहीं?
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह आश्वासन दिया गया था कि जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाएगी —
-
परिसीमन
-
चुनाव
-
राज्य का दर्जा बहाल
पहले दो चरण पूरे हो चुके हैं, लेकिन तीसरा चरण अब तक अधर में लटका है। उन्होंने इसे जनादेश की अनदेखी और संवैधानिक प्रक्रिया में देरी बताया।
‘आई लव मुहम्मद’ नारे पर गिरफ्तारियों को बताया बेहूदी हरकत
हाल ही में कुछ युवाओं को ‘I Love Muhammad’ नारे को लेकर हिरासत में लिए जाने पर भी उमर अब्दुल्ला ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“इस तरह की बात पर मामला दर्ज करना मानसिक रूप से बीमार लोगों का काम है। अगर कोई अपने पैगंबर से प्रेम जताता है तो उसमें गलत क्या है? क्या दूसरे धर्मों के अनुयायी अपने ईश्वर के नाम नहीं लिखते?”
उन्होंने मांग की कि न्यायपालिका को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जा सके।
धारा 370 और राज्य का दर्जा: पृष्ठभूमि
-
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A हटा दी थी।
-
इसके साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों — जम्मू-कश्मीर और लद्दाख — में विभाजित कर दिया गया।
-
तब से ही राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग लगातार उठती रही है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर याचिकाएं सुनते हुए कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करते समय जमीनी हालात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पर्यटन और विकास पर भी उठाए सवाल
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से दावा किया गया था कि राज्य का दर्जा खत्म करने से जम्मू-कश्मीर में विकास और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन वास्तविकता इससे अलग है।
“हमें उम्मीद थी कि बंगाल, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से भारी संख्या में पर्यटक आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। लोग रोजगार और असुरक्षा की वजह से राज्य से पलायन कर रहे हैं।”