SI पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ट्रेनिंग पर पूरी तरह रोक, भर्ती रद्द रहेगी लागू
राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती 2021 के पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे हजारों चयनित अभ्यर्थियों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने डिवीजन बेंच द्वारा ट्रेनिंग की दी गई अनुमति पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनमोहन शामिल थे, ने स्पष्ट रूप से कहा कि:
-
जब तक हाईकोर्ट अंतिम फैसला नहीं देता, तब तक चयनित उम्मीदवारों की किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग नहीं होगी।
-
हाईकोर्ट को निर्देशित किया गया है कि वह तीन महीने के भीतर इस मामले का अंतिम निपटारा करे।
- Advertisement -
सिंगल बेंच का आदेश बरकरार
राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस समीर की एकलपीठ ने SI भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए कहा था कि पेपर लीक और अनियमितताओं के चलते यह चयन प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं मानी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को बरकरार रखा है और किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया है।
राज्य सरकार की दलीलें नहीं मानी गईं
राजस्थान सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि चयनित उम्मीदवारों को केवल ट्रेनिंग की अनुमति दी जाए, जबकि फील्ड पोस्टिंग पर रोक जारी रहे।
इस तर्क को आधार बनाया गया था हाईकोर्ट की डबल बेंच के उस आदेश का, जिसमें 8 सितंबर 2025 को चयनित अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग की अनुमति दी गई थी।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि भर्ती की वैधता ही विवाद के घेरे में है, ऐसे में ट्रेनिंग की अनुमति देना भी गलत होगा। कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया पर जब तक पूर्ण न्यायिक निर्णय नहीं आता, कोई भी आगे की कार्रवाई नहीं की जा सकती।
सीनियर वकीलों की दलीलें और कोर्ट का निष्कर्ष
-
चयनित अभ्यर्थियों की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि युवाओं का भविष्य दांव पर है, उन्हें ट्रेनिंग की अनुमति मिलनी चाहिए।
-
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव शकधर ने कहा कि यह मामला पारदर्शिता और न्याय का है, जिसमें एक समझौता नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलें मानते हुए कहा कि,
“भर्ती प्रक्रिया में यदि पारदर्शिता न हो, तो पूरा सिस्टम ही सवालों के घेरे में आ जाता है। हम किसी भी प्रकार की शॉर्टकट प्रक्रिया को स्वीकार नहीं कर सकते।”
क्या होगा अब आगे?
अब हाईकोर्ट को तीन महीने के अंदर इस पूरे मामले का अंतिम निपटारा करना होगा। जब तक यह नहीं हो जाता:
-
ना तो कोई ट्रेनिंग दी जाएगी
-
ना ही किसी की नियुक्ति होगी
-
और सिंगल बेंच का रद्द करने वाला आदेश पूर्ण रूप से प्रभावी रहेगा
