लेह में हिंसा के बाद तनाव, धारा 163 लागू और सोनम वांगचुक की शांति की पुकार
लद्दाख के लेह में बुधवार को राज्य की मांग को लेकर हुए छात्र आंदोलन ने जब हिंसक रूप लिया तो हालात बिगड़ने लगे। आंदोलनकारियों द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय पर हमला कर उसे आग के हवाले कर देना, सीआरपीएफ की गाड़ी को जलाना और पुलिस पर पथराव जैसी घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं ने लद्दाख में दशकों से चल रही संवैधानिक मांगों के आंदोलन को एक संवेदनशील मोड़ पर पहुंचा दिया।
हिंसा के बीच सोनम वांगचुक ने अनशन समाप्त किया
जाने-माने नवाचारकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर थे, उन्होंने बुधवार को अपना अनशन तोड़ दिया। उन्होंने युवाओं से अहिंसा का मार्ग अपनाने की अपील करते हुए कहा कि,
“हमारा संघर्ष तभी सफल होगा जब हम इसे गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित रखेंगे। हिंसा से सिर्फ हमारे उद्देश्य को नुकसान होगा।”
शहर में लगी धारा 163, बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात
प्रदर्शन की हिंसा को देखते हुए प्रशासन ने बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, शहर में अतिरिक्त पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी गई है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
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विरोध की पृष्ठभूमि: राज्य का दर्जा और 6वीं अनुसूची की मांग
लद्दाख में बीते कुछ वर्षों से स्थानीय समुदाय द्वारा राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची के तहत विशेष संवैधानिक संरक्षण की मांग उठाई जा रही है। उनका कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद क्षेत्रीय पहचान, पर्यावरण और रोजगार के अवसरों पर खतरा मंडरा रहा है।
गृह मंत्रालय की समिति बनी, लेकिन बातचीत ठप
जनवरी 2023 में केंद्र सरकार द्वारा एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था ताकि लद्दाख की चिंताओं का समाधान निकाला जा सके। लेकिन 27 मई को हुई आखिरी बैठक के बाद अब तक कोई भी ठोस निर्णय या संवाद सामने नहीं आया है, जिससे जनता में निराशा और आक्रोश दोनों बढ़ते जा रहे हैं।
क्या आगे बढ़ेगा आंदोलन?
सोनम वांगचुक ने संकेत दिया है कि यदि सरकार ने जल्द कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो आंदोलन और तेज हो सकता है — लेकिन अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से। उन्होंने सरकार से अपील की है कि संविधान सम्मत रास्ता अपनाकर लद्दाख के लोगों की लंबे समय से लंबित मांगों को समझा जाए और समाधान निकाला जाए।
