राजस्थान में आरटीई (निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिकार) अधिनियम के तहत स्कूलों में बच्चों के दाखिले की प्रक्रिया एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पांच महीने से बच्चे स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक दाखिला नहीं मिल पाया है। निजी स्कूलों की मनमानी और शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यशैली के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।
22 और स्कूलों को थमाया गया नोटिस
शिक्षा विभाग ने हाल ही में जयपुर के 21 निजी स्कूलों को अंतिम चेतावनी के तौर पर नोटिस भेजे थे। लेकिन उन स्कूलों ने तय समयसीमा में भी आरटीई के तहत चयनित बच्चों को प्रवेश नहीं दिया। अब विभाग ने 22 और निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर दाखिला सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद जमीन पर कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आ रहा।
अभिभावकों की नाराजगी, अफसरों की खामोशी
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन के अनुसार, शिक्षा विभाग सिर्फ कागजी कार्रवाई कर रहा है। पहले जिन 21 स्कूलों को नोटिस दिए गए थे, उन्होंने अब तक किसी भी छात्र को दाखिला नहीं दिया। सात दिन की तय सीमा पूरी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे अभिभावकों में गहरी नाराजगी है।
बच्चों का भविष्य अधर में
करीब पांच महीने से चयनित बच्चे स्कूलों में पढ़ाई शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसके क्रियान्वयन में राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की गंभीरता नदारद नजर आ रही है।
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अभिभावक संघ ने उठाए सवाल
संघ ने विभाग पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप भी लगाया है। कुछ स्कूलों को ही निशाना बनाए जाने से कई अभिभावक असहमत हैं। उनका कहना है कि सभी दोषी स्कूलों पर समान रूप से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
नोटिस पाने वाले स्कूलों की सूची:
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महाराजा सवाई भवानी सिंह स्कूल
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ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल स्कूल
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रावत पब्लिक स्कूल
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जयपुर विद्यापीठ
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भारतीय विद्या भवन विद्या आश्रम
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एंजल पब्लिक स्कूल
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माउंट लिटेरा जी स्कूल
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सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल
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जानकी देवी पब्लिक स्कूल, सेक्टर 19
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सृजन इंटरनेशनल स्कूल
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जेवीपी इंटरनेशनल स्कूल
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श्री चैतन्य टेक्नो स्कूल
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टर्टल स्कूल, जगतपुरा
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आइडियल एजुकेशन पॉइंट न्यू चौधरी पब्लिक स्कूल
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फ्लोरोसेंट स्कूल
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आरसी डूक्या पब्लिक स्कूल
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एसआरएन इंटरनेशनल स्कूल
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इंडिया इंटरनेशनल स्कूल
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अरविंद श्री विद्या मंदिर
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लर्निंग स्टेप स्कूल
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क्रेयॉन्स व डे बोर्डिंग स्कूल
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पैरामाउंट ग्लोबल स्कूल
निष्कर्ष:
राज्य में आरटीई योजना का उद्देश्य भले ही सामाजिक समानता और शिक्षा का अधिकार हो, लेकिन उसकी जमीनी हकीकत इसके उलट है। स्कूलों की मनमानी और विभाग की निष्क्रियता ने योजना को मजाक बना दिया है। अब देखना होगा कि विभाग इन नोटिसों के बाद कोई ठोस कदम उठाता है या फिर बच्चों और अभिभावकों को इसी तरह सिस्टम की उदासीनता झेलनी पड़ेगी।
