ब्रेन ईटिंग अमीबा: नाक से दिमाग तक पहुंचने वाला अदृश्य खतरा, जानिए इससे जुड़ी 10 अहम बातें
नई दिल्ली, 20 सितंबर 2025 – केरल में तेजी से फैल रहा “ब्रेन ईटिंग अमीबा” यानी Naegleria fowleri एक बार फिर लोगों की चिंता का कारण बन गया है। यह एक दुर्लभ लेकिन बेहद घातक संक्रमण है, जो नाक के ज़रिए शरीर में प्रवेश कर सीधे दिमाग को संक्रमित करता है, जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
अब तक इस संक्रमण के 120 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 19 लोगों की मौत हो चुकी है। इस स्थिति में जरूरी है कि आम लोग इस बीमारी से जुड़े तथ्यों को सही ढंग से समझें और भ्रम से बचें। आइए जानते हैं इससे जुड़े 10 बेहद जरूरी तथ्य—
🔟 ब्रेन ईटिंग अमीबा से जुड़ी 10 जरूरी बातें
1. नाक से होता है संक्रमण, मुंह से नहीं
Naegleria fowleri गंदे, गर्म या रुके हुए पानी से नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है। यह अमीबा पीने के पानी से संक्रमित नहीं करता।
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2. मरीज को छूने से नहीं फैलता
यह संक्रमण व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता। मरीज को छूने, हाथ मिलाने, या उनके कपड़े इस्तेमाल करने से कोई खतरा नहीं होता।
3. तेजी से होता है असर
नाक से मस्तिष्क तक पहुंचने के बाद यह अमीबा मस्तिष्क की झिल्लियों पर तेजी से हमला करता है, जिससे Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM) नामक रोग हो जाता है। यह बेहद तेज़ी से फैलने वाला संक्रमण है।
4. लक्षणों को नजरअंदाज न करें
लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मतली, गर्दन में अकड़न प्रमुख हैं। शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
5. गर्म और स्थिर पानी से अधिक खतरा
झील, नहर, अनफिल्टर्ड पूल या थर्मल स्प्रिंग जैसे गर्म और स्थिर पानी में तैराकी करने से खतरा सबसे अधिक होता है।
6. फिल्टर या क्लोरीन युक्त पानी से जोखिम कम
बोतलबंद, फिल्टर या क्लोरीनयुक्त पानी में यह अमीबा जीवित नहीं रह पाता। घर के पीने के पानी से संक्रमित होने की संभावना बेहद कम होती है।
7. नाक में पानी जाने से बचाव करें
तैराकी या स्नान करते समय नाक में पानी जाने से रोकने के लिए नोज़ क्लिप का प्रयोग करें या सिर को पानी में डुबोने से बचें।
8. साफ-सफाई बनाए रखें
बच्चों की खेल की जगह, स्विमिंग पूल, और घर के आस-पास की सफाई नियमित रूप से करें। अनजाने में गंदे पानी के संपर्क से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
9. संक्रमण दुर्लभ है लेकिन जानलेवा
Naegleria fowleri के मामले दुर्लभ होते हैं, लेकिन एक बार संक्रमण हो जाए तो 95% मामलों में मौत का खतरा होता है। इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।
10. अफवाहों से बचें, सही जानकारी साझा करें
यह संक्रमण हवा, भोजन, या छूने से नहीं फैलता। सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों पर भरोसा ना करें। सटीक जानकारी ही जागरूकता का आधार है।
क्या है इसका इलाज?
इस संक्रमण का कोई निश्चित इलाज नहीं है। हालांकि, अगर बीमारी की शुरुआती अवस्था में पहचान हो जाए, तो कुछ दवाओं से मरीज को बचाने की कोशिश की जा सकती है। अमेरिका में कुछ सफल इलाज के उदाहरण जरूर मिले हैं, लेकिन भारत में इसकी सफलता दर अब भी बहुत कम है।
