भारत की आर्थिक ताकत ने बदला समीकरण, अमेरिका 50% से घटाकर 10-15% तक कर सकता है टैरिफ
नई दिल्ली | 19 सितंबर 2025:
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी ट्रेड डील को लेकर अब बड़ी प्रगति देखने को मिल रही है। अमेरिका भारत पर लगाए गए उच्च टैरिफ को 50% से घटाकर 10-15% करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसका कारण भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, वैश्विक निवेश आकर्षण और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूत होती स्थिति मानी जा रही है।
भारत की विकास दर बनी अमेरिका के लिए चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% की विकास दर दर्ज करेगा, जबकि अमेरिका की विकास दर घटकर 1.6% पर आ सकती है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जहां मंदी की आशंका से जूझ रही हैं, वहीं भारत वैश्विक ग्रोथ इंजन के रूप में उभर रहा है।
इस बीच, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने संकेत दिया है कि अमेरिका जल्द ही भारत पर आयात शुल्क में बड़ी कटौती कर सकता है।
ब्रिक्स की नई मुद्रा से अमेरिका को झटका
ट्रेड डील में तेजी का एक अहम कारण यह भी माना जा रहा है कि ब्रिक्स देशों द्वारा प्रस्तावित साझा करेंसी से डॉलर की वैश्विक स्थिति को खतरा हो सकता है। अमेरिका, इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत के साथ आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के प्रयास में जुटा है।
- Advertisement -
भारत बन रहा है वैश्विक निर्माण केंद्र
भारत न केवल सेवा क्षेत्र में बल्कि मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में भी वैश्विक कंपनियों की पहली पसंद बन रहा है। चीन पर निर्भरता घटाकर कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं:
-
Apple ने FY25 में 22 अरब डॉलर के iPhone भारत में असेंबल किए।
-
Tesla, Intel, AMD, और अन्य बड़ी कंपनियों ने भारत में निवेश की घोषणा की है।
-
भारत में iPhone 17 की बिक्री की शुरुआत के दिन लंबी कतारें इस बदलते उपभोक्ता रुझान की पुष्टि करती हैं।
2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत
EY और IMF की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था 20.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत का खुदरा बाजार अमेरिका के लिए अवसर
भारत का रिटेल मार्केट भी अमेरिका की नजरों में है। डेलॉइट-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, यह बाजार 2030 तक 1.93 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। बढ़ती खपत और उपभोक्ता मांग अमेरिका के लिए भारत को प्राथमिक व्यापार भागीदार बनाने का मजबूत कारण है।
ट्रेड डील को लेकर अमेरिका की गंभीरता
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता 17 सितंबर को नई दिल्ली में शुरू हुई। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी में द्विपक्षीय चर्चा सकारात्मक रही।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार:
“दोनों पक्षों ने व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत बनाने पर सहमति जताई है। पारस्परिक लाभ वाले समझौते की दिशा में जल्द निर्णय की प्रक्रिया तेज की जाएगी।”
पहला चरण नवंबर तक हो सकता है फाइनल
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में भरोसा जताया कि ट्रेड डील का पहला चरण नवंबर 2025 तक फाइनल हो सकता है।
उन्होंने कहा:
“अब तक की बातचीत सकारात्मक रही है। दोनों पक्ष एक व्यावहारिक और संतुलित समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”
निष्कर्ष
भारत की आर्थिक स्थिति, वैश्विक निवेशकों का भरोसा और रणनीतिक रूप से बढ़ती अहमियत ने अमेरिका को टैरिफ पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है। आने वाले महीनों में भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील न केवल व्यापार को बढ़ावा देगी, बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों में भी बड़ा बदलाव ला सकती है।