सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: “कुछ किसानों को जेल भेजने से जाएगा सख्त संदेश”
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर गंभीर चिंता जताई है। बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता जताई। पीठ का कहना था कि यदि कुछ किसानों को जेल भेजा जाए, तो इससे समाज में एक सख्त और स्पष्ट संदेश जाएगा, जिससे ऐसी घटनाएं दोहराने से लोग बचेंगे।
कोर्ट ने पूछा – किसानों पर दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं?
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र और संबंधित एजेंसियों से कहा,
“यदि आप वास्तव में पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं, तो फिर आप दंडात्मक प्रावधानों से क्यों पीछे हटते हैं? अगर कुछ किसानों को जेल भेजा जाए, तो यह एक जरूरी और मजबूत संदेश होगा।”
“छोटे किसानों के परिवारों का भविष्य भी सोचें” – वरिष्ठ वकील
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने दलील दी कि अब तक जिन किसानों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें अधिकांश छोटे किसान थे। उन्होंने कहा,
“यदि इन्हें जेल भेजा जाता है, तो उनके परिवार आर्थिक और सामाजिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। क्या इसकी कोई भरपाई संभव है?”
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इसके जवाब में CJI ने स्पष्ट किया कि कोर्ट नियमित गिरफ्तारी की बात नहीं कर रहा, बल्कि केवल इस बात पर बल दे रहा है कि सख्त कार्रवाई का डर होना जरूरी है, जिससे पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण लगाया जा सके।
“किसानों का सम्मान जरूरी, लेकिन पर्यावरण की कीमत पर नहीं”
CJI ने आगे कहा,
“हम किसानों का सम्मान करते हैं, उन्हीं की बदौलत हम खाना खा पाते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हम पर्यावरण को नुकसान पहुँचने दें।”
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पराली का उपयोग जैव ईंधन (बायोफ्यूल) के रूप में किया जा सकता है और सरकारों को इस दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जल्द भरे जाएं रिक्त पद
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर सभी रिक्तियों को भरा जाए। कोर्ट ने कहा कि इन संस्थाओं में पर्याप्त स्टाफ की मौजूदगी न होना भी प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण में बड़ी बाधा बन रहा है।
हर साल सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती है हवा
प्रत्येक वर्ष अक्टूबर से जनवरी के बीच दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है। पराली जलाना, पटाखों का उपयोग, वाहनों का धुंआ, और औद्योगिक प्रदूषण इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं।
अब सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद यह देखना होगा कि सरकारें और प्रशासन इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाते हैं।