अनूपगढ़, श्रीगंगानगर (राजस्थान):
राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले के अनूपगढ़ क्षेत्र में जबरन धर्मांतरण का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि एक हिंदू युवक को शादी का झांसा देकर पहले बहलाया गया, फिर जबरन ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर दो आरोपियों को हिरासत में लिया है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है।
शादी का झांसा, फिर नहर में डुबकी लगवाकर धर्मांतरण
अनूपगढ़ निवासी संदीप कुम्हार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि करीब एक महीने पहले उसकी मुलाकात आर्यन कुम्हार और उसके पिता विनोद कुमार से हुई थी। दोनों ने संदीप को एक युवती से शादी कराने का भरोसा दिलाया। इसी बहाने उन्होंने उसकी पहचान फ्रेंड्स मिशनरी प्रेयर बैंड (FMPB) से जुड़े क्षेत्र प्रभारी पौलश बारजो से करवाई।
संदीप के मुताबिक, एक दिन उसे नहर के पास ले जाकर पौलश ने पहले उसके हाथ का कलावा और लॉकेट उतरवाया, फिर सिर पर हाथ रखकर प्रार्थना की और पानी में डुबकी लगवाकर कहा, “अब तुम ईसाई हो गए हो।” इस घटनाक्रम से संदीप मानसिक रूप से बुरी तरह टूट गया।
450 से ज्यादा नामों वाला धर्मांतरण रजिस्टर बरामद
मामले की तह में जाते हुए पुलिस को एक रजिस्टर मिला, जिसमें 450 से अधिक लोगों के नाम दर्ज हैं, जिनका कथित रूप से धर्मांतरण करवाया जा चुका है। यह रजिस्टर पूरे गिरोह के संगठित कामकाज की पुष्टि करता है। पुलिस ने पौलश बारजो और आर्यन कुम्हार को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
- Advertisement -
झारखंड से आया मुख्य आरोपी, 20 लोगों का सालाना टारगेट
जानकारी के अनुसार, मुख्य आरोपी पौलश बारजो झारखंड के कटिंगगेल गांव का निवासी है। उसने 1995 में स्वयं हिंदू धर्म छोड़ ईसाई धर्म अपना लिया था। वर्ष 2003 में चेन्नई स्थित एफएमपीबी संगठन से जुड़ने के बाद उसे ट्रेनिंग के लिए झांसी भेजा गया और फिर राजस्थान के सीकर और अनूपगढ़ में तैनात किया गया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, संगठन की ओर से पौलश को हर साल कम से कम 20 लोगों का धर्म परिवर्तन कराने का लक्ष्य दिया गया था। इसके बदले उसे ₹9,000 वेतन, आवास, भोजन, बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्चों की सुविधा मिलती थी। अब तक वह 454 हिंदुओं का धर्मांतरण कर चुका है।
गरीब और बीमार परिवारों को बनाते थे निशाना
पौलश के साथ श्यामलाल और सुरजीत नाम के दो अन्य लोग भी धर्मांतरण के इस नेटवर्क में शामिल हैं। ये लोग मुख्य रूप से गरीब, बीमार और असहाय परिवारों को टारगेट करते थे। आरोप है कि अनूपगढ़ और उसके आसपास के गांवों में इन्होंने स्थानीय स्तर पर सहयोगियों की एक टीम खड़ी की थी, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं।
चर्च निर्माण के लिए संगठन ने जमीन भी खरीदी है, जिसमें विनोद कुमार नामक व्यक्ति ने ₹3.5 लाख का आर्थिक योगदान दिया।
विश्व हिंदू परिषद की तीखी प्रतिक्रिया
मामले के खुलासे के बाद विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कड़ा ऐतराज जताया है। संगठन के जिला मंत्री कृष्ण राव ने कहा कि आरोपी हिंदू देवी-देवताओं के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं और समाज में भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार से सख्त कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग की है।
राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी कानून के बीच मामला आया सामने
गौरतलब है कि यह मामला ऐसे समय पर सामने आया है, जब राजस्थान विधानसभा ने हाल ही में धर्मांतरण रोकथाम विधेयक पारित किया है। इस कानून के लागू होने के बाद अनूपगढ़ का यह पहला बड़ा केस माना जा रहा है, जिसने प्रशासनिक सतर्कता और निगरानी तंत्र की प्रभावशीलता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निष्कर्ष
श्रीगंगानगर ज़िले में उजागर हुआ यह मामला न केवल धार्मिक पहचान से जुड़ी संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आस्था के नाम पर संगठित प्रयास किस प्रकार समाज के निचले तबकों को निशाना बना रहे हैं। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए यह एक सतर्कता और सख्ती से कार्रवाई करने का अवसर है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।