जयपुर:
राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। जीएसटी काउंसिल के हालिया फैसले से बिजली उत्पादन की लागत में काफी कमी आने की संभावना है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे राज्य को सालाना लगभग ₹1100 करोड़ की बचत हो सकती है, जो अंततः बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने में मददगार साबित हो सकती है।
क्या है GST में बदलाव?
जीएसटी काउंसिल ने कोयले पर जीएसटी दर को 5% से बढ़ाकर 18% कर दिया है, लेकिन साथ ही 400 रुपए प्रति टन का सेस हटा दिया गया है। यह बदलाव कोयला आधारित बिजली उत्पादन के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि:
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सेस हटने से कोयला लागत में प्रति टन ₹210–₹225 की कमी आएगी
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इससे बिजली की उत्पादन लागत प्रति यूनिट 11 से 14 पैसे तक घटने की उम्मीद है
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कोयले की खपत और संभावित बचत
राजस्थान के थर्मल पावर प्लांट्स में हर महीने औसतन 28 लाख टन कोयले की खपत होती है। इस पर लगभग ₹1500 करोड़ का खर्च आता है। इस फैसले से बिजली उत्पादन में प्रतिदिन लगभग ₹1.90 करोड़ की सीधी बचत अनुमानित है।
उदाहरण के तौर पर:
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अभी 1 टन कोयले की लागत: ₹5000
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रोजाना खपत: 90–95 हजार टन
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कुल खर्च: ₹47.5 करोड़ प्रतिदिन
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सेस हटने के बाद खर्च: ₹45.6 करोड़
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बचत: ₹1.90 करोड़ प्रतिदिन यानी सालाना ₹680–₹700 करोड़
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अन्य निजी कंपनियों से अलग से ₹400–₹500 करोड़ की बचत संभव
उपभोक्ताओं को क्या फायदा?
हालांकि उपभोक्ताओं को इसका तत्काल लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन भविष्य में जब नई टैरिफ याचिका दायर होगी, तो इस बचत को शामिल किया जाएगा। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो उपभोक्ताओं को:
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100 यूनिट तक के बिल में ₹11–₹14 की सीधी राहत मिल सकती है
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टैरिफ दरों में मामूली गिरावट आने की संभावना
डिस्कॉम को कैसे मिलेगा लाभ?
राज्य की तीनों बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) ने रेगुलेटरी एसेट्स के रूप में करीब ₹50,000 करोड़ का बोझ टैरिफ में जोड़ा है। जीएसटी के इस फैसले से:
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डिस्कॉम इन रेगुलेटरी एसेट्स को घटा सकते हैं
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वित्तीय घाटा कम होगा
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उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला भविष्य का भार हल्का किया जा सकता है
विशेषज्ञों की राय
“GST में सुधार से बिजली उत्पादन की लागत घटेगी। अगर यह लाभ रेगुलेटरी एसेट्स के सरचार्ज से जोड़ा जाए, तो उपभोक्ताओं और डिस्कॉम्स दोनों को फायदा होगा।”
— अंशुमन गोठवाल, ऊर्जा एवं पर्यावरण विशेषज्ञ, सेंटर फॉर एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड पीपल
निष्कर्ष
हालांकि यह राहत तुरंत नहीं दिखेगी, लेकिन लंबी अवधि में यह फैसला राजस्थान में बिजली को अधिक किफायती बना सकता है। साथ ही, यह राज्य की बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिरता में भी सुधार ला सकता है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि राज्य विद्युत विनियामक आयोग आने वाले टैरिफ में इस राहत को किस हद तक शामिल करता है।