ITR फाइलिंग डेडलाइन 16 सितंबर 2025 तक बढ़ी, पोर्टल गड़बड़ी के चलते फैसला
आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग की डेडलाइन एक दिन के लिए और बढ़ा दी है। अब वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 कर दी गई है। इससे पहले यह डेडलाइन 15 सितंबर थी, जो कि 31 जुलाई 2025 से पहले ही बढ़ा दी गई थी।
यह निर्णय CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) द्वारा लिया गया है। ई-फाइलिंग पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतों और अंतिम समय में बढ़ती लोड की वजह से इस अतिरिक्त एक दिन का विस्तार दिया गया है।
16 सितंबर को ई-फाइलिंग पोर्टल आंशिक रूप से रहेगा बंद
CBDT के अनुसार, 16 सितंबर 2025 को सुबह 12:00 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक पोर्टल मेंटेनेंस के चलते बंद रहेगा। इस समय के बाद टैक्सपेयर्स ITR फाइलिंग फिर से शुरू कर सकते हैं।
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यदि कोई टैक्सपेयर निर्धारित समय (16 सितंबर) तक ITR फाइल नहीं कर पाता है, तो वह 31 दिसंबर 2025 तक बेलेटेड ITR फाइल कर सकता है, लेकिन इसके लिए दंड का प्रावधान है।
लेट ITR फाइलिंग पर लगेगा जुर्माना और ब्याज
लेट रिटर्न फाइल करने वालों पर आयकर अधिनियम के तहत जुर्माना और ब्याज दोनों लग सकते हैं:
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यदि कुल वार्षिक आय ₹5 लाख से अधिक है, तो ₹5,000 तक की पेनल्टी
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यदि कुल आय ₹5 लाख या इससे कम है, तो ₹1,000 तक की पेनल्टी
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इसके अलावा, सेक्शन 234A के तहत ब्याज भी देय होगा
ITR फाइल करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि
पिछले पांच वर्षों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में लगातार वृद्धि देखी गई है। टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और प्री-फिल्ड ITR जैसे सुधारों ने टैक्स अनुपालन को और भी सरल बनाया है।
वित्तीय वर्ष (FY) | मूल्यांकन वर्ष (AY) | फाइल किए गए ITR (करोड़ में) | वृद्धि (%) |
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2020-21 | 2021-22 | 6.72 | – |
2021-22 | 2022-23 | 7.40 | 10.1% |
2022-23 | 2023-24 | 8.09 | 9.3% |
2023-24 | 2024-25 | 9.00 (जनवरी तक) | 11.2% (अनुमानित) |
2024-25 | 2025-26 | आंकड़े जारी नहीं | – |
पांच साल में कुल 38.77 करोड़ ITR फाइल किए गए हैं। FY 2023-24 में ITR फाइल करने वालों की संख्या भारत की जनसंख्या के महज 6.68% के बराबर है, जो अभी भी कम है, लेकिन टैक्स बेस के विस्तार का संकेत देता है।
ITR फाइलिंग में तेजी के पीछे प्रमुख कारण
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प्री-फिल्ड ITR फॉर्म्स: टैक्स डेटा पहले से भरा होने से फाइलिंग आसान हुई
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डिजिटल जागरूकता: पोर्टल, मोबाइल ऐप्स और हेल्पलाइन से टैक्स फाइलिंग में सहूलियत
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कड़े नियम और जुर्माने: समय पर फाइलिंग के लिए टैक्सपेयर्स में जिम्मेदारी बढ़ी
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आधार-पैन लिंकिंग: पारदर्शिता और ट्रैकिंग में सुधार