कोटा। राजस्थान का कोटा दशहरे पर इस बार इतिहास रचने जा रहा है। यहां मैदान में एक ऐसा रावण खड़ा होने जा रहा है जो अपने आकार, वजन और तकनीकी विशेषताओं के चलते पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया है। 215 फीट ऊंचे और 12 टन वजनी इस लोहे के रावण को रिमोट कंट्रोल से दहन किया जाएगा, जो इसे अब तक का सबसे आधुनिक और भव्य आयोजन बनाएगा।
चार महीने की मेहनत, लोहे की 9500 किलो “हड्डियां”
इस विशाल रावण को बनाने का काम हरियाणा के अंबाला से आए तेजेंद्र चौहान और उनकी 100 सदस्यीय टीम कर रही है। बीते चार महीनों से मैदान में हथौड़ों की गूंज और वेल्डिंग की चिंगारियां इस भव्य पुतले के निर्माण की गवाही दे रही हैं। चौहान बताते हैं, “रावण की हड्डियों में 9500 किलो लोहा लगा है, जो किसी छोटे पुल के ढांचे से भी अधिक है।”
रावण की बनावट: जब तकनीक और कारीगरी मिल जाएं
रावण का चेहरा फाइबर ग्लास से बना है, जिस पर रेजिन की कोटिंग कर मजबूती दी गई है। केवल चेहरा ही 300 किलो वजनी है, जबकि उसका मुख्य सिर 25 फीट ऊंचा है और बाकी नौ सिर 3×6 फीट के हैं। रावण की मूंछें इस बार विशेष रूप से ऊपर की ओर मुड़ी हुई हैं, जो उसे एक दमदार खलनायक का रूप देती हैं।
चमचमाता मुकुट और 50 फीट लंबी तलवार
इस रावण का मुकुट 60 फीट ऊंचा है, जिसे चार हिस्सों में बनाकर LED लाइट्स से सजाया गया है। तलवार 50 फीट लंबी है और जूतियों की लंबाई 40 फीट है। कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी 60-60 फीट ऊंचे होंगे, जिनके चेहरे 10 फीट लंबे और करीब 80 किलो वजनी होंगे।
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स्थापना का प्लान: भारी मशीनों और इंजीनियरिंग का कमाल
पुतले को खड़ा करने के लिए 6 फीट गहरा और 25 फीट चौड़ा फाउंडेशन तैयार किया गया है। दो क्रेन, एक जेसीबी और 100 मजदूरों की मदद से इसे मात्र तीन घंटे में खड़ा किया जाएगा। मैदान में मौजूद कारीगरों का कहना है कि इतने ऊंचे पुतले को पहली बार देख रहे हैं।
रिमोट से होगा दहन, सेंसरों से सजी आतिशबाजी
इस बार रावण का दहन न तीर से होगा, न मशाल से। 20 जगहों पर लगाए गए सेंसरों के माध्यम से रिमोट कंट्रोल से दहन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जैसे ही बटन दबेगा, सबसे पहले रावण का छत्र जलेगा, फिर मुकुट और फिर पूरी देह आतिशबाजी के साथ धधक उठेगी।
इतिहास, परंपरा और तकनीक का अद्भुत संगम
हालांकि इस बार रावण में मूवमेंट नहीं होगा—ना आंखें हिलेंगी, ना तलवार चलेगी—फिर भी उसकी भव्यता इतनी विशाल और प्रभावशाली होगी कि हर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाएगा। इसका हर भाग अलग-अलग बनाकर ट्रकों से कोटा लाया गया और मैदान में जोड़ा गया।
2 अक्टूबर की शाम बनेगी ऐतिहासिक
2 अक्टूबर को जब कोटा का आसमान रंग-बिरंगी रोशनी और आतिशबाजी से रोशन होगा, तब यह रावण केवल बुराई का प्रतीक नहीं रहेगा, बल्कि यह कोटा की सांस्कृतिक विरासत, कारीगरों की मेहनत और आधुनिक तकनीक का जिंदा उदाहरण बन जाएगा।