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ज्ञान भारतम मिशन: भारत की प्राचीन पांडुलिपियों को डिजिटल बना विश्व गुरु बनने की पहल

editor
editor Published September 12, 2025
Last updated: 2025/09/12 at 2:33 PM
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भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने की दिशा में बड़ा कदम है ज्ञान भारतम मिशन

Contents
क्या है ज्ञान भारतम मिशन?पांडुलिपियों की परिभाषा60 करोड़ रुपये का विशेष बजटक्यों ज़रूरी है यह मिशन?कैसे बनेगा भारत ‘विश्व गुरु’?निष्कर्ष:

नई दिल्ली | भारत सरकार ने बजट 2025-26 में ‘ज्ञान भारतम मिशन’ नामक एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है, जो देश की प्राचीन पांडुलिपियों और ज्ञान परंपरा को सुरक्षित और वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह मिशन भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने की सोच के साथ शुरू किया गया है।


क्या है ज्ञान भारतम मिशन?

‘ज्ञान भारतम मिशन’ संस्कृति मंत्रालय की एक प्रमुख परियोजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में फैली एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को खोजकर, संरक्षित कर, और डिजिटल स्वरूप में प्रस्तुत करना है। इन पांडुलिपियों में हजारों वर्षों पुराना भारतीय ज्ञान भंडार छिपा है – जिसमें आयुर्वेद, गणित, खगोलशास्त्र, संगीत, दर्शन, योग और विज्ञान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ हैं।


पांडुलिपियों की परिभाषा

पांडुलिपियाँ वे हस्तलिखित ग्रंथ या दस्तावेज होते हैं जो कागज, ताड़पत्र, कपड़े या धातु पर लिखे गए हों और जिनकी उम्र कम से कम 75 वर्ष हो। भारत में अनुमानित 50 लाख से अधिक पांडुलिपियाँ मौजूद हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित साहित्य संग्रह बनाती हैं।

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60 करोड़ रुपये का विशेष बजट

इस मिशन के लिए सरकार ने 60 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जो कि पहले के राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) के महज 3.5 करोड़ रुपये के मुकाबले कहीं अधिक है। इस राशि से पांडुलिपियों को एकत्र करना, उनका डिजिटलीकरण, वर्गीकरण और भाषा रूपांतरण किया जाएगा, ताकि भारत का पारंपरिक ज्ञान आम लोगों और शोधकर्ताओं तक आसानी से पहुंच सके।


क्यों ज़रूरी है यह मिशन?

  1. ज्ञान का डिजिटलीकरण: जलवायु परिवर्तन, नमी और कीटों के कारण हजारों बहुमूल्य पांडुलिपियाँ धीरे-धीरे नष्ट हो रही हैं। डिजिटल रूप में इन्हें संरक्षित करके भारत अपनी बौद्धिक संपदा को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचा सकता है।

  2. वैश्विक शोध में मदद: इस डिजिटल भंडार को एक राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे दुनिया भर के शोधकर्ता, छात्र और शिक्षाविद भारतीय ज्ञान परंपराओं (Indian Knowledge Systems – IKS) पर अध्ययन कर सकें।

  3. सांस्कृतिक गौरव का पुनर्जागरण: यह मिशन भारत के सांस्कृतिक आत्मविश्वास को पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा। जब दुनिया भारतीय ज्ञान की गहराई को समझेगी, तब भारत को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘विश्व गुरु’ के रूप में पुनः पहचाना जाएगा।


कैसे बनेगा भारत ‘विश्व गुरु’?

भारत सदियों से ज्ञान, दर्शन और अध्यात्म का केंद्र रहा है। प्राचीन काल में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों ने दुनिया को शिक्षा दी। ज्ञान भारतम मिशन के ज़रिए भारत अपनी उसी विरासत को फिर से स्थापित कर रहा है – लेकिन इस बार तकनीक के साथ, वैश्विक मंच पर।

इस मिशन के अंतर्गत:

  • विदेशी विश्वविद्यालयों से सहयोग बढ़ेगा

  • भारत के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ा जाएगा

  • युवाओं को प्राचीन भारतीय विज्ञान और तकनीकी नवाचारों से जोड़ने की योजना बनाई जाएगी


निष्कर्ष:

‘ज्ञान भारतम मिशन’ सिर्फ एक पांडुलिपि संरक्षण परियोजना नहीं, बल्कि भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नींव है। यह न केवल भारत को उसकी जड़ों से जोड़ेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान को एक ज्ञान आधारित राष्ट्र के रूप में पुनः स्थापित करेगा।


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editor September 12, 2025
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