बीकानेर गोचर भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन की तैयारी, 13 सितंबर को महत्त्वपूर्ण बैठक
बीकानेर।
बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा नगर विकास योजना 2043 (Urban Development Plan 2043) के अंतर्गत बीकानेर क्षेत्र की गोचर भूमि के अधिग्रहण को लेकर गहरी आपत्तियां सामने आ रही हैं। इस अधिग्रहण के विरोध में गोचर ओरण संरक्षण संघ राजस्थान ने मोर्चा खोल दिया है और आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए 13 सितंबर को सुबह 11 बजे एक महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी।
यह बैठक आनंद निकेतन, मोहता भवन, बड़े हनुमान जी मंदिर के सामने, अटल बिहारी पार्क, बीकानेर में रखी गई है, जिसमें बीकानेर क्षेत्र की विभिन्न गौसेवा संस्थाएं, सामाजिक संगठन, गोचर संरक्षण समितियां एवं जागरूक नागरिक भाग लेंगे।
संघ ने जताई आपत्ति, बोले— गोचर की एक इंच जमीन नहीं देंगे
संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष निर्मल कुमार बरडिया ने स्पष्ट किया कि संघ का संकल्प है कि बीकानेर की एक-एक इंच गोचर भूमि को सुरक्षित रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह भूमि केवल गोवंश की है और इसे किसी भी तरह से अधिग्रहित नहीं होने दिया जाएगा।
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संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सूरजमाल सिंह नीमराना ने बताया कि बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा की जा रही इस अधिग्रहण प्रक्रिया पर संघ ने आपत्तियां दर्ज करवाई हैं, और इसे निरस्त करवाने के लिए लोकतांत्रिक और कानूनी तरीके से विरोध दर्ज कराया जाएगा।
बैठक में वरिष्ठ संत और सामाजिक प्रतिनिधि रहेंगे उपस्थित
यह बैठक केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है। इसमें बीकानेर के वरिष्ठ संतों और सामाजिक अग्रणियों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इसमें तय किया जाएगा कि आगे क्या कानूनी, सामाजिक और जनआंदोलनात्मक कदम उठाए जाएं ताकि गोचर की रक्षा हो सके।
गोचर भूमि: बीकानेर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर
गोचर भूमि बीकानेर की सदियों पुरानी परंपरा और विरासत का प्रतीक रही है, जो न केवल गौवंश के लिए आवश्यक चारागाह है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अहम है। संघ का मानना है कि ऐसी भूमि को किसी भी तरह की शहरी योजना में शामिल करना, स्थानीय जैव विविधता और पारंपरिक संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है।
बैठक में सभी जागरूक नागरिकों को आमंत्रण
संघ ने बीकानेर के सभी नागरिकों, गौभक्तों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों से इस बैठक में शामिल होने की अपील की है, ताकि एक मजबूत, संगठित और प्रभावी स्वर शासन तक पहुँच सके।