महाराष्ट्र में बेरोजगारी का फायदा उठाते हुए एक शातिर गिरोह ने सैकड़ों युवाओं को सरकारी नौकरी का सपना दिखाकर बुरी तरह ठगा। हैरान करने वाली बात यह रही कि फर्जी इंटरव्यू सीधे राज्य सरकार के मंत्रालय परिसर में कराए गए और मेडिकल परीक्षण भी सरकारी अस्पतालों में करवाए गए। इस पूरी ठगी में न केवल योजनाबद्ध तरीके से विश्वास बनाया गया, बल्कि युवाओं को पूरी तरह से आश्वस्त किया गया कि उन्हें जल्द ही सरकारी नियुक्ति पत्र मिलेगा।
मुख्य आरोपी गिरफ्तार, पत्नी फरार
इस संगठित ठगी के मामले में लॉरेंस हेनरी नामक मुख्य आरोपी को नागपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह नागपुर के मल्हगीनगर क्षेत्र का निवासी है। पुलिस के अनुसार, लॉरेंस और उसके छह साथियों ने मिलकर एक व्यापक जाल बिछाया था, जिसके ज़रिए बेरोजगार युवाओं को फर्जी चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया।
लॉरेंस की पत्नी शिल्पा हेनरी, जो इस रैकेट की अहम सदस्य मानी जा रही है, अभी फरार है। उसके खिलाफ पहले से ही चंद्रपुर और वर्धा में आपराधिक मामले दर्ज हैं।
मंत्रालय में ही कराए गए फर्जी इंटरव्यू
इस मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इंटरव्यू वास्तव में राज्य मंत्रालय परिसर में ही करवाए गए, जिससे उम्मीदवारों को कोई संदेह नहीं हुआ। आरोपी मंत्रालय के कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी आई-कार्ड बनवाते थे और उम्मीदवारों को मंत्रालय के अधिकारियों से मिलवाने का ड्रामेबाज़ी भरा नाटक करते थे।
मेडिकल टेस्ट भी बना विश्वास का माध्यम
युवाओं का भरोसा जीतने के लिए उन्हें सरकारी अस्पतालों में मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया, ताकि पूरी प्रक्रिया वास्तविक लगे। इंटरव्यू के बाद मेडिकल परीक्षण होने से कई उम्मीदवारों ने यह मान लिया कि उन्हें वास्तव में नौकरी मिल गई है और इस आधार पर लाखों रुपये आरोपी गिरोह को सौंप दिए।
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200 से अधिक पीड़ित, लाखों का नुकसान
अब तक की जांच में सामने आया है कि 200 से अधिक युवाओं से लाखों रुपये वसूले गए। कई पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने एक से दो लाख रुपये तक दिए थे, जिनमें से अधिकांश ने परिवार की जमा पूंजी या कर्ज लेकर पैसे चुकाए।
डीसीपी का खुलासा और पीड़ितों की मांग
नागपुर के डीसीपी राहुल तायडे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि गिरोह में शामिल कुछ लोग मंत्रालय के निचले कर्मचारियों के संपर्क में थे, जो आई-कार्ड बनवाने और मंत्रालय तक पहुंचाने में मदद करते थे।
पीड़ितों ने न्याय की गुहार लगाई है और कहा कि जिन लोगों ने उनके भविष्य के साथ धोखा किया है, उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए और उनका पैसा जल्द से जल्द वापस दिलाया जाए।
अन्य आरोपी अभी भी फरार, तलाश जारी
पुलिस ने इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है। कई संदिग्धों की पहचान की जा चुकी है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार करने की कार्रवाई जारी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं यह नेटवर्क अन्य राज्यों तक तो नहीं फैला है।
निष्कर्ष: जागरूक रहें, सतर्क रहें
यह मामला केवल एक ठगी नहीं है, यह उन हजारों युवाओं की उम्मीदों और मेहनत से किया गया खिलवाड़ है, जो दिन-रात नौकरी की तलाश में लगे हैं। इस घटना से यह स्पष्ट है कि सरकारी नौकरी जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में भी फर्जीवाड़ा करने वाले सक्रिय हैं। ऐसे में जरूरत है कि युवा सतर्क रहें, किसी भी अनौपचारिक या संदिग्ध प्रक्रिया से दूर रहें और सरकारी भर्तियों से जुड़ी जानकारी केवल सरकारी पोर्टलों से ही प्राप्त करें।