राजस्थान SI भर्ती-2021 पर हाईकोर्ट की रोक: चयनित अभ्यर्थियों ने दी कानूनी लड़ाई में दलीलें
जयपुर, 8 सितंबर 2025 – राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सब इंस्पेक्टर भर्ती-2021 को रद्द करने के एकलपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह फैसला चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दायर की गई अपील पर सुनवाई के बाद सामने आया। इस निर्णय से करीब 800 चयनित उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिली है, जो पिछले कई महीनों से भर्ती प्रक्रिया की अनिश्चितता का सामना कर रहे थे।
क्या था मामला?
2021 में आयोजित हुई राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती में कथित तौर पर पेपर लीक और व्यापक स्तर पर अनियमितताओं के आरोप लगे थे। इसके आधार पर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने हाल ही में यह भर्ती रद्द करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता संदेह के घेरे में है और इसे न्यायसंगत नहीं माना जा सकता।
चयनित अभ्यर्थियों की दलीलें
एकलपीठ के इस आदेश को अमर सिंह व अन्य चयनित अभ्यर्थियों ने चुनौती दी। उन्होंने डिवीजन बेंच के समक्ष यह तर्क रखा:
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पूरी भर्ती रद्द करना अनुचित है, जबकि दोषियों की पहचान कर उन्हें बाहर किया जा सकता है।
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सरकार स्वयं भर्ती को रद्द करने के पक्ष में नहीं थी।
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SOG (विशेष कार्य बल) द्वारा दोषियों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की जा रही है।
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निर्दोष और योग्य अभ्यर्थियों को दूसरों की गलती की सजा देना अन्यायपूर्ण होगा।
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लाखों युवाओं की मेहनत और वर्षों की तैयारी पर एक झटके में पानी फेरना संविधान सम्मत नहीं है।
कोर्ट का फैसला: अस्थायी राहत
डिवीजन बेंच के जस्टिस एसपी शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद, एकलपीठ के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक भर्ती प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जाएगा और इस दौरान कोई भी प्रशासनिक कार्रवाई प्रभावित नहीं होगी।
भर्ती से जुड़े प्रमुख बिंदु
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भर्ती का वर्ष: 2021
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कुल पद: लगभग 857
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विवाद का कारण: पेपर लीक, धांधली, परीक्षा पारदर्शिता पर सवाल
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दोषियों के खिलाफ कार्रवाई: SOG द्वारा FIR और गिरफ्तारी
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चयनित अभ्यर्थी: प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग, दोषियों को चिन्हित कर निष्कासन की अपील
क्या हो सकता है आगे?
यह फैसला अंतिम नहीं है। अब अगली सुनवाई में दोनों पक्षों के तर्कों और दस्तावेज़ों पर विस्तार से बहस होगी। यदि यह साबित होता है कि पूरी प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर धांधली नहीं हुई, तो भर्ती को पूरी तरह रद्द करने के बजाय सिर्फ दोषी अभ्यर्थियों को बाहर करने का रास्ता खुल सकता है।