खाद्य सुरक्षा योजना में नया अपडेट: ‘लखपति गरीबों’ की सूची सार्वजनिक, गिव‑अप अभियान तेज
जयपुर: राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना में हुए अनियमितताओं पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। योजना के तहत गेहूं प्राप्त कर रहे ‘लखपति गरीबों’ और अन्य अपात्र लाभार्थियों की सूची अब सार्वजनिक की जाएगी। इसी के अंतर्गत ‘गिव‑अप अभियान’ के तहत 1 नवंबर से अपात्र लोगों से ₹30.57 प्रति किग्रा हिसाब से गेहूं वसूला जाएगा।
क्या है नया अपडेट?
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अब कलेक्ट्रेट, रसद कार्यालय, पंचायत समिति और नगर पालिका जैसी सार्वजनिक जगहों पर अपात्र लाभार्थियों की सूची चस्पा की जाएगी।
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खाद्य मंत्री सुमित गोदारा व्यक्तिगत रूप से अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
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इन अपात्र लाभार्थियों से जो अब तक स्वैच्छा से नाम वापस नहीं लिया है, उन पर वसूली की प्रक्रिया 1 नवंबर से प्रभावी होगी।
सत्यापन और वसूली की प्रक्रिया कैसे चलेगी?
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मंत्री ने पुष्टि की है कि डोर‑टू‑डोर सत्यापन अभियान भी शुरू होगा, जहां प्रवर्तन अधिकारी घर-घर जाकर पात्रता की जांच करेंगे।
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साथ ही, राशन दुकानों के स्तर पर ‘लखपति’ और अपात्र लाभार्थियों की सूची तैयार की जाएगी।
अभियान का वर्तमान आँकड़ा और उद्देश्य
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‘गिव‑अप अभियान’ की शुरुआत नवंबर 2024 में हुई थी, जिसके तहत 1.358 लाख से अधिक लोगों ने स्वयं अपने नाम हटाए, जिससे सरकार का ** ₹246 करोड़** का वित्तीय बोझ कम हुआ।
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अब तक 8.38 लाख से अधिक लोगों ने स्वयं नाम हटवाया है और अभियान की अंतिम तिथि 28 फरवरी तय की गई थी।
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जयपुर में अकेले 37,064 यूनिट्स को हटाया गया, और 389 लोगों को नोटिस जारी किया गया था।
क्यों यह अपडेट महत्वपूर्ण है?
बिंदु | विवरण |
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पारदर्शिता बढ़ी | सार्वजनिक सूची से लोगों को पता चलेगा कि कौन–कौन गैर‑पात्र लाभ ले रहे हैं। |
वसूली की तैयारी | नाम वापस नहीं लेने वालों से वसूली के आदेश 1 नवंबर से लागू होंगे। |
सामाजिक न्याय | जरूरतमंदों को योजना लाभ जल्द मिले, इसके लिए असंवेदनशील और अपात्र लाभार्थियों को हटाना आवश्यक है। |
निरंतर सुधार | पोर्टल माध्यम से ई‑केवाईसी व आधार सीडिंग जैसी प्रक्रियाओं से न्याय सुनिश्चित हो रहा है। |
निष्कर्ष:
खाद्य सुरक्षा योजना में अनुचित लाभ को रोकने के लिए सरकार ने एक ठोस कदम उठाया है—जबकि ‘गिव‑अप अभियान’ ने लाखों धनबल से ऊपर उठ चुके लोगों को बाहर निकाला, अब सार्वजनिक सूचीकरण और वसूली से यह प्रयास और पारदर्शी होगा। इससे योजनाओं का लाभ उन्हीं तक पहुंचेगा, जो वास्तव में पात्र हैं।