नेपाल में हिसाब बराबर नहीं हो रहा: जेन‑जेड ने सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद घेरा
काठमांडू, 8 सितंबर 2025: नेपाल की राजधानी काठमांडू में आज एक नए, तेजस्वी आंदोलन ने जन्म लिया — देश के युवा, जिन्हें ‘जेन‑जेड’ के नाम से जाना जाता है (18–30 वर्ष), सोशल मीडिया प्रतिबंध और व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शन हिंसक मोड़ पर पहुंच गया, जब प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन की ओर रुख कर दिया।
मुख्य घटनाक्रम
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सोशल मीडिया प्रतिबंध ने क्रांति की चिंगारी जलाई। सरकार ने फेसबुक, YouTube, X, व्हाट्सऐप समेत 26 प्रमुख मंचों को बिना पंजीकरण के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया।
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प्रदर्शनकारियों ने संसद परिसर पर धावा बोल दिया, पुलिस बैरिकेड तोड़कर अंदर दाखिल हुई भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस, रबर बुलेट और जलशक्ति का उपयोग किया गया।
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इस दौरान एक या अधिक प्रदर्शकारियों की मौत हुई और कई घायल बताए गए।
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आपात स्थिति में कर्फ्यू लगा दिया गया और संवेदनशील क्षेत्रों में सेना तैनात कर दी गई।
आंदोलन का स्वरूप और जेन‑जेड की रणनीति
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इस आंदोलन का नेतृत्व नेपाल की डिजिटल पीढ़ी — जेन‑जेड — कर रही है, जो राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक असंतोष व्यक्त करने की दिशा में सड़कों पर उतर आई है।
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यह गैर‑राजनीतिक और अभिव्यक्ति‑मुक्ति की मांग है। इसमें राजनीतिक दलों के झंडे या नारों की अनुपस्थिति स्पष्ट रूप से देखी गई।
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स्थानीय नेताओँ, जैसे काठमांडू के मेयर बेलन शा और पूर्व NEA प्रमुख कुलमान घिसिंग ने भी आंदोलन के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
सरकार का रुख और नियंत्रण उपाय
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सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध को नफाते के साथ, सुरक्षा उपाय के रूप में प्रस्तुत किया — ‘मीडिया की अनियंत्रित ताकत’ को नियंत्रित करने की कोशिश बताई।
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पुलिस ने प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियंत्रण के तरीकों का सहारा लिया — जिसे युवा प्रदर्शकारियों और लोकतंत्र समर्थकों ने अभिव्यक्ति का दमन बताया।
निष्कर्ष
नेपाल इस समय एक युवा जनांदोलन के उफान को देख रहा है — जहां सोशल मीडिया को आत्म-विकास और आवाज़ मानने वाले जेन‑जेड ने सत्ता को चुनौतिपूर्ण निर्देश दिया है। इस संघर्ष में लोकतांत्रिक आज़ादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार विरोधी आवाज़ों ने महत्वपूर्ण जोश भर दिया है।