पश्चिम बंगाल की राजनीति में गर्मी बढ़ी, TMC नेता की आपत्तिजनक धमकी से तनाव
पश्चिम बंगाल की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ नेता और मालदा जिले के अध्यक्ष अब्दुर रहीम बख्शी ने हाल ही में एक विवादित बयान देकर बवाल खड़ा कर दिया है। बख्शी ने भाजपा विधायक शंकर घोष को खुले मंच से गंभीर धमकी दी, जिसमें उन्होंने उनके मुंह में तेजाब डालने की बात कही।
सभा में उग्र बयान, सीधे भाजपा विधायक पर निशाना
मालदा जिले में शनिवार को एक सभा आयोजित की गई थी, जिसका उद्देश्य अन्य राज्यों में काम कर रहे बंगाली प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाना था। इसी सभा को संबोधित करते हुए अब्दुर रहीम बख्शी ने भाजपा विधायक के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी।
हालांकि उन्होंने शंकर घोष का नाम नहीं लिया, लेकिन जिस तरह से उन्होंने संकेत दिया, उससे साफ है कि उनका निशाना भाजपा विधायक पर ही था। दरअसल, विधायक घोष ने हाल ही में प्रवासी बंगाली मजदूरों को लेकर टिप्पणी की थी कि कई मजदूर रोहिंग्या या बांग्लादेशी हो सकते हैं। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए बख्शी ने कहा:
“अगर मैंने दोबारा किसी को बंगाल के प्रवासी मजदूरों को रोहिंग्या या बांग्लादेशी कहते सुना, तो मैं उसके मुंह में तेजाब डाल दूंगा और आवाज को जला दूंगा। यह बंगाल है, यहां ऐसे लोगों को बोलने की जगह नहीं दी जाएगी।”
- Advertisement -
भाजपा का पलटवार: “TMC की राजनीति अब धमकी और हिंसा तक सीमित”
TMC नेता के इस बयान के बाद भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मालदा उत्तर से भाजपा सांसद खगेन मुर्मू ने कहा कि यह बयान साफ दर्शाता है कि तृणमूल कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बौखलाई हुई है।
उन्होंने कहा,
“TMC के नेताओं की भाषा अब हिंसा की तरफ बढ़ रही है। यह उनकी हताशा और सत्ता बचाने की बेचैनी को दर्शाता है। यह पहली बार नहीं है जब अब्दुर रहीम बख्शी ने इस तरह की आपत्तिजनक बात कही हो।”
भूतकाल में भी दे चुके हैं भड़काऊ बयान
यह पहला मौका नहीं है जब अब्दुर रहीम बख्शी विवादों में आए हैं। इससे पहले भी उन्होंने भाजपा, कांग्रेस और माकपा के कार्यकर्ताओं को हाथ-पैर काटने जैसी धमकियां दी थीं।
राजनीतिक माहौल में बढ़ती कटुता, चुनावों से पहले चिंता
बंगाल में इस तरह के बयान न सिर्फ राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि सामाजिक तनाव को भी हवा दे सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावों से पहले इस तरह की बयानबाज़ी से मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
निष्कर्ष:
राजनीति में विरोध स्वाभाविक है, लेकिन नेताओं द्वारा खुले मंच से हिंसा की धमकी देना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। ऐसे बयानों पर सख्त कानूनी कार्रवाई और सामाजिक निंदा दोनों जरूरी हो गई है। जनता को चाहिए कि वे नेताओं की भाषा और व्यवहार पर पैनी नजर रखें और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें।