गणेश उत्सव पर छाया मातम: महाराष्ट्र के कई जिलों में विसर्जन के दौरान हादसे, 8 की जान गई
महाराष्ट्र में गणेश विसर्जन के दौरान जहां एक ओर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह दिखा, वहीं दूसरी ओर राज्य के कई हिस्सों से दुखद खबरें सामने आई हैं। पुणे, मुंबई, नांदेड और अकोला में अलग-अलग घटनाओं में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हैं। हादसों के चलते उत्सव का माहौल गमगीन हो गया है और पीड़ित परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
पुणे में डूबने से 4 लोगों की मौत
पुणे जिले के चाकण क्षेत्र में विसर्जन के दौरान चार अलग-अलग जगहों पर हादसे हुए।
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भीमा नदी (वाकी खुर्द): दो युवक पानी में डूबे। एक का शव बरामद किया गया है, दूसरे की तलाश जारी है।
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बिरदवड़ी गांव: एक व्यक्ति कुएं में गिरकर डूब गया।
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शेलपिंपलगांव: 45 वर्षीय पुरुष भीमा नदी में डूब गया।
इन हादसों ने स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है। लगातार बारिश और तेज बहाव को इन घटनाओं का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
नांदेड: आसना नदी में बहे दो युवक, रेस्क्यू अभियान जारी
नांदेड जिले के गाडेगांव इलाके में शनिवार शाम विसर्जन के दौरान आसना नदी में तीन युवक पानी के तेज बहाव में बह गए।
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एक युवक को बचा लिया गया है।
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बालाजी उबाले और योगेश उबाले अब भी लापता हैं।
एसडीआरएफ और स्थानीय गोताखोरों की टीम दोनों युवकों की तलाश में जुटी है।
मुंबई: हाई वोल्टेज तार से ट्रॉली टकराई, करंट से युवक की मौत
मुंबई के साकीनाका क्षेत्र में गणेश विसर्जन की शोभायात्रा के दौरान बड़ा हादसा हुआ।
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श्री गजानन मित्र मंडल की ट्रॉली खैरानी रोड पर हाई वोल्टेज तार से टकरा गई।
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36 वर्षीय बिनू शिवकुमार की मौके पर ही मौत हो गई।
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तुषार गुप्ता (18), धर्मराज गुप्ता (44), आरुष गुप्ता (12), शंभू कामी (20), और करण कानोजिया (14) घायल हुए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।
स्थानीय प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं।
अकोला में सड़क हादसे में युवक की मौत
अकोला जिले में गणेश विसर्जन से लौट रहे दो भक्तों की बाइक को कार ने टक्कर मार दी।
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हादसे में 30 वर्षीय रामचंद्र आंधले की मौके पर ही मौत हो गई।
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उनका मित्र गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में उपचाराधीन है।
दोनों श्रद्धालु कापशी तालाब से विसर्जन कर घर लौट रहे थे।
प्रशासन पर उठे सवाल, सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता
लगातार सामने आ रहे हादसों ने राज्य की प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि विसर्जन स्थलों पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं थे और न ही बिजली के खतरों को लेकर जागरूकता फैलाई गई।