तिहाड़ जेल में ब्रिटिश CPS टीम का निरीक्षण, माल्या-नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की राह आसान?
नई दिल्ली।
देश से फरार आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के भारत सरकार के प्रयास अब एक निर्णायक मोड़ पर हैं। ब्रिटेन की क्राउन अभियोजन सेवा (Crown Prosecution Service – CPS) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया, जिससे विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की संभावनाएं फिर से तेज हो गई हैं।
भारत ने दिए सुरक्षा और मानवीय व्यवहार के पुख्ता आश्वासन
CPS के अधिकारी तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वार्ड में पहुंचे, जहां उन्होंने जेल की अवस्थाओं, सुरक्षा इंतज़ामों और कैदियों के रहन-सहन की स्थिति का गहन अवलोकन किया। इस दौरान अधिकारियों ने जेल में मौजूद कुछ कैदियों से बातचीत भी की।
भारत सरकार की ओर से CPS टीम को आश्वासन दिया गया कि:
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प्रत्यर्पित आरोपियों को पूरी सुरक्षा और कानूनी अधिकारों के साथ रखा जाएगा।
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जरूरत पड़ी तो हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए विशेष ‘सेफ एन्क्लेव’ का निर्माण किया जाएगा।
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हिरासत में किसी भी प्रकार की अवैध पूछताछ या मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।
यह निरीक्षण ब्रिटेन की उन चिंताओं के समाधान के तौर पर देखा जा रहा है, जिनके चलते पहले कई प्रत्यर्पण अनुरोधों को ठुकराया जा चुका है।
नीरव मोदी का प्रत्यर्पण पहले ही स्वीकृत, लेकिन प्रक्रिया अधूरी
हीरा कारोबारी नीरव मोदी, जो 13,800 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी है, को मार्च 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था।
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ब्रिटेन की अदालतों ने उसके प्रत्यर्पण को कानूनी रूप से मंजूरी दे दी है।
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लेकिन अब तक अंतिम प्रत्यर्पण आदेश पर ब्रिटेन सरकार की अंतिम स्वीकृति लंबित है।
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इस देरी का मुख्य कारण भारत की जेलों की स्थिति को लेकर उठाए गए सवाल थे।
विजय माल्या के मामले में भी हलचल तेज
शराब कारोबारी विजय माल्या, जिस पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, का मामला भी ब्रिटेन की कानूनी प्रक्रिया में अटका हुआ है।
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ब्रिटिश कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को हरी झंडी दी थी।
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लेकिन उसने यूके होम सेक्रेटरी के सामने अपील की, जिसकी प्रक्रिया काफी समय से लंबित है।
भारत द्वारा तिहाड़ जेल की मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करना और विशेष बंदोबस्त की बात करना इन मामलों में ब्रिटेन की आपत्तियों को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या अब प्रत्यर्पण में तेजी आएगी?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह दौरा न केवल ब्रिटेन की अदालतों में भारत की छवि मजबूत करने में सहायक होगा, बल्कि इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि भारत की न्यायिक और जेल प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरती है।
यदि ब्रिटेन सरकार भारत के आश्वासनों से संतुष्ट होती है तो:
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नीरव मोदी का प्रत्यर्पण जल्द संभव हो सकता है।
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विजय माल्या के मामले में भी अड़चनें कम हो सकती हैं।
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इससे अन्य भगोड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ भी प्रत्यर्पण की राह आसान होगी।
निष्कर्ष
तिहाड़ जेल का यह निरीक्षण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत के कानूनी और राजनयिक प्रयासों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है कि देश से भागे आर्थिक अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो बहुत जल्द विजय माल्या और नीरव मोदी को भारतीय अदालतों में पेश होते देखा जा सकता है।