जयपुर में भीषण हादसा: बारिश से कमजोर हुई जर्जर हवेली ढही, दो की मौत, कई घायल
जयपुर।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में शुक्रवार देर रात बड़ा हादसा हो गया। सुभाष चौक इलाके में स्थित एक चार मंजिला जर्जर हवेली भरभराकर गिर गई, जिससे एक ही परिवार के पिता और छह वर्षीय बेटी की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में मलबे में दबे सात में से पांच लोगों को बचा लिया गया है, जिनमें से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और प्रशासन ने तुरंत राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया।
बारिश बनी मौत की वजह, पुराना भवन गिरा
यह हादसा शुक्रवार रात करीब 12 बजे हुआ, जब बाल भारती स्कूल के पीछे स्थित एक पुरानी हवेली अचानक ढह गई। बताया जा रहा है कि हवेली की दीवारें लगातार दो दिनों से हो रही बारिश के चलते कमजोर हो चुकी थीं। यह भवन काफी पुराना था और चूने से बना हुआ था, जिसे लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने शिकायत भी की थी। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मलबे में दबे 7 लोग, 5 को जिंदा निकाला
हवेली में 20 से अधिक लोग किराए पर रहते थे, जो सभी पश्चिम बंगाल के मूल निवासी बताए जा रहे हैं। हादसे के समय कई लोग सो रहे थे।
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मृतकों में 33 वर्षीय प्रभात और उसकी 6 वर्षीय बेटी पीहू शामिल हैं।
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प्रभात की पत्नी सुनीता (25) को गंभीर चोटें आई हैं और उसे एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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अन्य चार लोगों को रेस्क्यू टीम ने मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला, जिनमें से एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
SDRF और प्रशासन ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन
घटना के तुरंत बाद सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं।
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रात भर चला रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार सुबह 7 बजे तक जारी रहा।
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एसीपी माणक चौक पीयूष कविया, रामगंज थाना प्रभारी सुभाष कुमार और सुभाष चौक थाना प्रभारी लिखमाराम मौके पर मौजूद रहे।
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स्थानीय लोगों की मदद से मलबा हटाने का काम तेज़ी से किया गया।
प्रशासन का ऐहतियाती कदम: आसपास का इलाका खाली कराया
प्रशासन ने हादसे के तुरंत बाद आसपास के जर्जर भवनों की जांच शुरू कर दी है और इलाके को खाली करवाकर घेराबंदी कर दी गई है।
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि अब सभी पुराने और क्षतिग्रस्त भवनों की जांच की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
घायलों के परिजनों को सूचना दे दी गई है और जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
बड़ा सवाल: किसकी ज़िम्मेदारी है यह हादसा?
यह घटना एक बार फिर से नगर निगम और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे कई बार हवेली की खराब हालत की शिकायत कर चुके थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय रहते इस जर्जर भवन को खाली करा लिया गया होता, तो शायद दो मासूम जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।