मुंबई/नई दिल्ली।
महाराष्ट्र के कर्जत में प्रस्तावित ‘हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप’ को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। यह टाउनशिप मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई बताई जा रही है, जिसे लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने आपत्ति जताई है और इसे संविधान के समानता और गैर-भेदभाव सिद्धांतों के खिलाफ करार दिया है।
क्या है मामला?
मुंबई से लगभग 70 किलोमीटर दूर कर्जत क्षेत्र में एक आवासीय परियोजना को ‘हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप’ के रूप में प्रमोट किया जा रहा है। प्रमोटर्स का दावा है कि यह टाउनशिप हलाल मानकों के अनुरूप है और इसमें धार्मिक जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी।
हालांकि, शिकायतकर्ता ने NHRC में याचिका दायर करते हुए कहा कि यह टाउनशिप धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देती है, जो भारतीय संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
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सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप
शिकायत में कहा गया है कि:
“किसी भी आवासीय परियोजना को केवल एक विशेष धार्मिक समूह के लिए निर्धारित करना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह समाज में सांप्रदायिक तनाव और विभाजन भी उत्पन्न कर सकता है।”
NHRC की सख्ती और निर्देश
NHRC ने इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट (ATR) दाखिल करने का निर्देश दिया है। आयोग ने यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि क्या इस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) से अनुमति मिली और किस आधार पर मंजूरी दी गई।
संविधान के सिद्धांतों के विरुद्ध
NHRC ने अपनी टिप्पणी में कहा:
“धर्म के आधार पर किसी टाउनशिप को विकसित करना देश की एकता, सामाजिक समरसता और संविधान के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है।”
अब आगे क्या?
यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील बन चुका है।
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राज्य सरकार को अब यह स्पष्ट करना होगा कि परियोजना की मंजूरी प्रक्रिया में कानूनी और संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन हुआ या नहीं।
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रेरा की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
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यदि यह परियोजना भेदभावपूर्ण पाई जाती है, तो इस पर प्रतिबंध या संशोधन की सिफारिश की जा सकती है।
विपक्ष का रुख
मामले को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। कुछ विपक्षी दलों ने इसे राज्य सरकार की लापरवाही बताया है और कहा है कि यह “संविधान के साथ समझौता” है।