1 सितंबर से भारत का ‘अपना समय’ शुरू, भोपाल से लॉन्च हुई वैदिक घड़ी
भोपाल | 1 सितंबर 2025
भारत ने आज समय की गणना के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भोपाल से देश की पहली वैदिक घड़ी का शुभारंभ किया गया है, जो पूरी तरह से भारतीय ज्योतिष, पंचांग और सूर्य सिद्धांत पर आधारित है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस ऐतिहासिक घड़ी का उद्घाटन किया और इसके मोबाइल एप की भी लॉन्चिंग की।
अब भारत के पास अपना वैदिक समय है, जो पूरी तरह से सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की गति के अनुसार चलता है, न कि केवल यांत्रिक या वैज्ञानिक गणनाओं पर आधारित होता है।
भारत के हर शहर का अलग वैदिक समय संभव
वैदिक घड़ी को विकसित करने वाली आरोह श्रीवास्तव की टीम के अनुसार, यह घड़ी केवल एक यंत्र नहीं बल्कि प्राचीन भारतीय समय ज्ञान का पुनरुद्धार है। इसकी मदद से अब भारत के हर शहर का स्थानीय वैदिक समय पता किया जा सकेगा।
यह घड़ी लगभग तीन वर्षों के शोध का परिणाम है। इसे आईआईटी दिल्ली के विशाल सिंह और रोबोटिक्स इंजीनियर आरुणि श्रीवास्तव की मदद से तैयार किया गया है।
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उज्जैन: वैदिक समय का ऐतिहासिक केंद्र
इस घड़ी को मध्यप्रदेश से लॉन्च करने का विशेष महत्व है, क्योंकि उज्जैन को भारतीय कालगणना का प्राचीन केंद्र माना जाता है।
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कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है,
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यही भारत का प्राइम मेरिडियन (Indian Prime Meridian) भी है,
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उज्जैन को खगोल विज्ञान और ज्योतिष का विश्वस्तरीय केंद्र माना जाता रहा है।
GMT बनाम वैदिक घड़ी: समय की दो अलग धारणाएं
ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) | विक्रमादित्य वैदिक घड़ी |
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19वीं सदी में इंग्लैंड में विकसित | हजारों साल पुरानी वैदिक परंपरा पर आधारित |
औसत सौर समय (Mean Solar Time) पर आधारित | खगोलीय घटनाओं: सूर्य, चंद्र और नक्षत्रों की गति पर आधारित |
समय इकाई: सेकंड, मिनट, घंटे | समय इकाई: घटिका, मुहूर्त, नाड़ी, विपला, त्रुटि |
दिन की शुरुआत रात 12 बजे से | दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ |
वैज्ञानिक और वैश्विक मानक | प्राकृतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भारतीय जीवनशैली से जुड़ा |
वैदिक घड़ी की विशेषताएं
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सूर्योदय के साथ दिन की शुरुआत: यह दिन को प्राचीन वैदिक परंपरा अनुसार सूर्योदय से गिनती है, न कि मध्यरात्रि से।
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घटिका और मुहूर्त की पुनर्स्थापना:
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1 दिन = 60 घटिका (1 घटिका = 24 मिनट)
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1 दिन = 30 मुहूर्त (1 मुहूर्त = 48 मिनट)
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और भी सूक्ष्म इकाइयाँ: नाड़ी, विपला, त्रुटि
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धार्मिक, कृषि और जीवनशैली से जुड़ी: अनुष्ठान, खेती और मानव जीवन को खगोलीय चक्रों से जोड़ने का प्रयास।
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डिजिटल एप: मोबाइल एप के ज़रिए हर शहर का वैदिक समय जानना संभव होगा।
यह घड़ी क्यों है भारत के लिए विशेष?
भारत में पश्चिमी समय मानकों पर आधारित समय प्रणाली लंबे समय से प्रचलित रही है। वैदिक घड़ी के जरिए भारत ने अपनी सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक ज्ञान को फिर से स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यह पहल भारत को समय गणना के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाती है।
निष्कर्ष: समय की नई क्रांति
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का शुभारंभ केवल एक घड़ी का लॉन्च नहीं, बल्कि यह भारत की वैदिक विज्ञान परंपरा का आधिकारिक पुनर्स्थापन है। आधुनिक तकनीक और प्राचीन ज्ञान के मेल से यह घड़ी भारत को वैश्विक मंच पर एक सांस्कृतिक पहचान और वैचारिक नेतृत्व प्रदान करने का प्रतीक बन सकती है।