गडकरी का विवादित बयान: जो सबसे ज्यादा मूर्ख बना सके, वही सबसे अच्छा नेता, फिर दी गीता की सीख
नागपुर | 1 सितंबर 2025
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर अपनी बेबाक टिप्पणी को लेकर चर्चा में हैं। नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के पंथिया सम्मेलन में गडकरी ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा,
“अक्सर ऐसा माना जाता है कि जो लोगों को सबसे ज़्यादा मूर्ख बना सके, वही सबसे अच्छा नेता होता है।”
हालांकि इस टिप्पणी के बाद गडकरी ने भगवद गीता का उल्लेख कर अपनी बात को संतुलित किया और कहा कि “अंततः जीत सत्य की ही होती है।”
‘शॉर्टकट आपको छोटा बना देता है’
अपने संबोधन में गडकरी ने युवाओं और कार्यकर्ताओं को ईमानदारी से काम करने की सलाह दी। उन्होंने कहा:
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“सफलता के कोई शॉर्टकट नहीं होते। शॉर्टकट आपको अस्थायी सफलता दे सकते हैं, लेकिन अंततः वे आपके व्यक्तित्व को छोटा कर देते हैं।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि
“अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक नियम तोड़कर रेड लाइट पार करता है, तो वह शॉर्टकट है, लेकिन यह उसे छोटा बना देता है।”
गडकरी बोले: सच बोलना मना है… लोग हँस पड़े
अपने भाषण के दौरान गडकरी ने राजनीति में झूठ और दिखावे की संस्कृति पर कटाक्ष करते हुए कहा:
“मैं जिस क्षेत्र में काम करता हूं, वहां पूरे दिल से सच बोलना मना है। यहां यह माना जाता है कि जो लोगों को सबसे ज़्यादा मूर्ख बना सके, वही सबसे अच्छा नेता है।”
इस पर सभा में ठहाके भी गूंजे, लेकिन उनका यह कथन सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
गीता का पाठ कर दी सफाई
अपने बयान को संतुलन देते हुए गडकरी ने भगवद गीता का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा:
“भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि अंतिम विजय सत्य की होती है। हमें सत्य, सेवा और समर्पण के मार्ग पर चलना चाहिए।”
महानुभाव संत चक्रधर स्वामी की शिक्षाओं को बताया प्रासंगिक
गडकरी ने कहा कि चक्रधर स्वामी की शिक्षा—सत्य, अहिंसा, शांति, समानता और मानवता—आज के दौर में बेहद जरूरी हैं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राजनीति, प्रशासन या किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए सत्य और निष्ठा ही आधार होना चाहिए।
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
गडकरी अपनी बेबाक राय और खुले विचारों के लिए जाने जाते हैं। पिछले महीने उन्होंने कहा था:
“जो लोग सत्ता, धन, ज्ञान या सुंदरता हासिल कर लेते हैं, वे अक्सर अहंकारी हो जाते हैं। यह अहंकार सच्चे नेतृत्व को खत्म कर देता है।”
राजनीतिक बयान या समाज सुधार की सीख?
गडकरी के इस बयान को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों की राय बंटी हुई है। कुछ इसे राजनीति में ईमानदारी और आत्ममंथन की सलाह मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक कटाक्ष और सत्तारूढ़ दल पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी बता रहे हैं।