बीकानेर: बारिश के बाद ढहा जर्जर मकान, कई और इमारतें खतरे की जद में
बीकानेर में रविवार शाम से शुरू हुई तेज़ बारिश ने एक बार फिर शहर की जर्जर इमारतों की खस्ताहाल स्थिति को उजागर कर दिया है। बारह गुवाड़ स्थित ओझाओं की गली में सोमवार तड़के एक पुराना मकान अचानक गिर गया, गनीमत रही कि हादसे के समय वहां कोई मौजूद नहीं था।
हालांकि, यह घटना शहर की नगरीय प्रशासन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है, क्योंकि नगर निगम ने इस मकान को पहले ही “खतरनाक” घोषित कर सिर्फ नोटिस चस्पा कर इतिश्री कर दी थी।
नगर निगम की चेतावनी थी, फिर भी नहीं की गई कार्रवाई
जानकारी के अनुसार, जो मकान गिरा, उस पर नगर निगम द्वारा पहले ही नोटिस चिपकाया गया था, जिसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि मकान जर्जर है और बारिश में गिर सकता है। नागरिकों से इस मकान से दूरी बनाए रखने की अपील की गई थी।
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लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ नोटिस लगाकर जिम्मेदारी खत्म हो जाती है?
बारिश के मौसम में जब जर्जर इमारतें और भी अधिक खतरनाक हो जाती हैं, ऐसे में इन्हें तत्काल गिराने की जरूरत होती है, जिससे कोई बड़ा हादसा टल सके।
सामने खड़ा दूसरा मकान भी खतरे की जद में
गिरा हुआ मकान जिस गली में स्थित है, उसी में सामने एक और जर्जर मकान मौजूद है, जिस पर भी निगम ने नोटिस तो लगाया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यह मकान भी किसी भी वक्त गिर सकता है और किसी गंभीर दुर्घटना को न्यौता दे सकता है।
शहर में कई जर्जर इमारतें बनी खतरे का कारण
बीकानेर के अंदरूनी इलाकों, विशेषकर पुरानी बस्तियों में ऐसे कई मकान हैं जो वर्षों से खाली या आंशिक रूप से उपयोग में हैं, लेकिन उनकी हालत इतनी खस्ताहाल है कि वे बारिश में कभी भी ढह सकते हैं।
नगर निगम की ओर से नियमित सर्वे या अभियान के बजाय, केवल औपचारिक नोटिस देने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे शहरवासियों की जान जोखिम में पड़ती जा रही है।
नगर निगम की सफाई पर उठ रहे सवाल
निगम प्रशासन का कहना है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कार्रवाई की जा सकती है, और कई बार मकान मालिकों की सहमति या उपस्थिति आवश्यक होती है। लेकिन आपात स्थिति में यदि किसी इमारत से जनहानि की आशंका हो, तो तत्काल कदम उठाना प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।