जयपुर — राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 को लेकर चल रहे लंबे कानूनी विवाद पर आखिरकार फैसला आ गया है। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पेपर लीक और धांधली के आरोपों के चलते पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश दिया है। इस निर्णय से राज्य में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
पीठ का निर्णय और पृष्ठभूमि
यह मामला पिछले करीब एक साल से राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित था। 13 अगस्त 2023 को याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि SI भर्ती 2021 में बड़े पैमाने पर पेपर लीक हुआ, जिससे योग्य और मेहनती उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ। इसके बाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने 14 अगस्त 2025 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे 27 अगस्त को सुनाया गया।
सरकार की दलीलें: दोषियों पर कार्रवाई हो रही है
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में यह दलील दी गई कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में केवल 68 अभ्यर्थियों की संलिप्तता सामने आई है, जिनमें 54 ट्रेनी SI, 6 चयनित उम्मीदवार और 8 फरार आरोपी शामिल हैं। सरकार ने कहा कि संपूर्ण प्रक्रिया को रद्द करने की बजाय दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है, और जांच SOG (Special Operations Group) द्वारा जारी है।
चयनित अभ्यर्थियों की पीड़ा
चयनित अभ्यर्थियों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी है और कई ने इसके लिए अपनी पिछली सरकारी नौकरियां तक छोड़ दीं। उन्होंने कहा कि भर्ती को निरस्त करना हजारों ईमानदार उम्मीदवारों के भविष्य पर गहरा प्रभाव डालेगा, जबकि गलत करने वालों पर पहले ही कार्रवाई हो रही है।
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हाईकोर्ट का स्पष्ट रुख: चयन प्रक्रिया की शुचिता सर्वोपरि
हाईकोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और शुचिता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कोर्ट के मुताबिक, यदि परीक्षा की विश्वसनीयता संदिग्ध है, तो उसे जारी रखना न्यायोचित नहीं है। इसलिए पूरी भर्ती को रद्द करना ही एकमात्र सही कदम है।
फैसले का असर:
इस निर्णय से राजस्थान पुलिस में ट्रेनी के तौर पर सेवा दे रहे 54 SI, चयनित 6 उम्मीदवारों और हजारों अन्य अभ्यर्थियों पर प्रभाव पड़ा है। अब इन सभी की नियुक्ति रद्द मानी जाएगी और प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने की संभावना जताई जा रही है।
भविष्य की भर्तियों के लिए संकेत
हाईकोर्ट के इस फैसले को भविष्य की सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता की आवश्यकता पर सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने इशारा किया है कि राज्य सरकार चाहे तो नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर सकती है, बशर्ते वह पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हो।