नई दिल्ली, 27 अगस्त:
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। बुधवार से अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका लग सकता है। इस फैसले से भारत द्वारा अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात में 25-30 अरब डॉलर तक की गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए इस डबल टैरिफ में पहले से लागू 25% बेस टैरिफ के अलावा अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़ा गया है। यह नया टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी हो गया है। अमेरिकी प्रशासन ने यह कदम तब उठाया जब भारत ने रूस से तेल आयात को जारी रखा और कथित तौर पर भारत-पाकिस्तान सीज़फायर में ट्रंप की भूमिका को सार्वजनिक रूप से नहीं सराहा।
किन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर?
मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा के अनुसार, “भारत ने 2024 में अमेरिका को लगभग 86.7 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था, जिसमें से करीब 55 से 60 बिलियन डॉलर के उत्पाद इस टैरिफ के दायरे में आते हैं। अब अनुमान है कि इन पर अतिरिक्त टैक्स लगने से भारत का निर्यात 25-30 अरब डॉलर तक घट सकता है।”
विशेष रूप से टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मास्युटिकल्स, कृषि उत्पाद और आईटी हार्डवेयर जैसे क्षेत्रों को इस टैरिफ का सीधा प्रभाव झेलना पड़ सकता है। इससे न केवल निर्यातकों की आमदनी घटेगी, बल्कि लाखों नौकरियों पर भी असर पड़ सकता है।
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भारत का सख्त रुख – दबाव में नहीं झुकेगा देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार करते हुए साफ किया है कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी उद्योग की कीमत पर कोई समझौता नहीं करेगा। अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बीते कुछ हफ्तों में पीएम मोदी से संपर्क करने के लिए चार बार कॉल किया, लेकिन प्रधानमंत्री ने कोई कॉल रिसीव नहीं किया। यह कदम भारत के आत्मनिर्भर और संप्रभु नीति रुख को दर्शाता है।
अर्थव्यवस्था के लिए अगली चुनौती
वर्तमान परिदृश्य भारत के लिए आर्थिक मोर्चे पर एक नई चुनौती लेकर आया है। जहां एक ओर निर्यात घटने से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव आ सकता है, वहीं घरेलू उद्योगों को भी मांग में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार अब संभावित राहत पैकेज और नए व्यापार समझौतों की ओर देख रही है, जिससे अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम की जा सके।