MiG-21 की विदाई की शुरुआत बीकानेर से, वायुसेना प्रमुख ने नाल एयरबेस से भरी अंतिम उड़ान
बीकानेर। भारतीय वायुसेना के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान MiG-21 की सेवानिवृत्ति की औपचारिक प्रक्रिया बीकानेर के नाल एयरबेस से शुरू हो गई है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने मंगलवार को नाल एयरबेस से इस ऐतिहासिक फाइटर जेट में उड़ान भरी और भावुक क्षणों के साथ इसे अंतिम सलामी दी।
62 साल की सेवा, अब नए युग की शुरुआत
MiG-21 ने वर्ष 1963 में भारतीय वायुसेना में प्रवेश किया था और तब से लेकर अब तक यह विमान देश की वायु शक्ति की रीढ़ बना रहा। अब 19 सितंबर 2025 को इसे आधिकारिक रूप से रिटायर किया जाएगा। इसका विदाई समारोह चंडीगढ़ एयरबेस में आयोजित किया जाएगा, जहां इसकी आखिरी सलामी दी जाएगी।
नाल एयरबेस पर तैनात है अंतिम दो स्क्वॉड्रन
वर्तमान में MiG-21 की आखिरी दो स्क्वॉड्रन –
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नंबर 3 स्क्वॉड्रन ‘कोबरा’
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नंबर 23 स्क्वॉड्रन ‘पैंथर्स’
राजस्थान के बीकानेर के नाल एयरबेस पर तैनात हैं।
यह वही स्क्वॉड्रन हैं, जिनके जरिए इस विमान ने अपनी अंतिम उड़ानें पूरी कीं। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि उनके करियर की शुरुआत भी MiG-21 से ही हुई थी और यह विमान पायलटों के लिए केवल एक मशीन नहीं, बल्कि एक गुरु और युद्धसाथी रहा है।
तेजस, राफेल और AMCA लेंगे स्थान
वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी कि अब MiG-21 की जगह आधुनिक भारतीय विमान तेजस, तेजस MK-2, राफेल, और भविष्य का स्वदेशी AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) लेंगे।
उन्होंने बताया कि तेजस का डिज़ाइन भी काफी हद तक MiG-21 से प्रेरित है, लेकिन यह अत्याधुनिक तकनीक और भारतीय इंजीनियरिंग का प्रतिनिधित्व करता है। वायुसेना के पास पहले ही 83 तेजस MK-1A के ऑर्डर हैं और एक नया कॉन्ट्रैक्ट जल्द साइन होने वाला है।
MiG-21: एक इतिहास, एक युग
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अब तक दुनिया भर में 11,000 से अधिक MiG-21 विमान बनाए जा चुके हैं।
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60 से ज्यादा देशों ने इसे अपनाया और संचालित किया।
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यह विमान भारत के लिए 1971 के युद्ध, करगिल, और कई अहम मिशनों का हिस्सा रहा।
एयर चीफ ने कहा कि यह केवल रिटायरमेंट नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना के एक युग का अंत और नए युग की शुरुआत है।
निष्कर्ष
MiG-21 भारतीय वायुसेना का वह अध्याय रहा है, जिसने देश की हवाई सुरक्षा को दशकों तक मजबूती दी। बीकानेर के नाल से इसकी अंतिम उड़ान और विदाई की शुरुआत एक ऐतिहासिक पल बन गई है। अब वायुसेना तेजस, राफेल और भविष्य के स्वदेशी फाइटर जेट्स के साथ आधुनिक युग में कदम रख रही है।