गृहमंत्री अमित शाह का तीखा वार: विपक्ष संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा को ठेस पहुंचा रहा है
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक साक्षात्कार में विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला और संविधान (130वां संशोधन) विधेयक के विरोध को लेकर कड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ऐसे अधिकार की मांग कर रहा है, जिससे नेता जेल में रहते हुए भी सरकार चला सकें। शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि यह न सिर्फ लोकतंत्र का अपमान है, बल्कि संविधान की मूल आत्मा पर भी चोट है।
विपक्ष पर तीखा हमला: क्या नैतिकता का कोई मूल्य नहीं बचा?
अमित शाह ने कहा कि,
“क्या अब देश में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री जेल से शासन चलाएंगे?”
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उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व में लालकृष्ण आडवाणी, मदनलाल खुराना और हेमंत सोरेन जैसे नेताओं ने गिरफ्तारी या जांच के दौरान तुरंत इस्तीफा दिया था और नैतिकता की मिसाल पेश की थी। इसके उलट, दिल्ली और तमिलनाडु सरकारों के मंत्री गिरफ्तार होने के बावजूद अपने पदों पर बने रहे, जो राजनीतिक शुचिता को ठेस पहुंचाने वाला है।
CBI समन पर खुद के इस्तीफे का उदाहरण
शाह ने कहा कि जब CBI ने उन्हें समन भेजा था, तब उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था।
“मैंने तब तक शपथ नहीं ली जब तक मेरे खिलाफ सारे आरोप खत्म नहीं हुए।”
उन्होंने विपक्ष पर सवाल उठाया कि जो लोग खुद नैतिक जिम्मेदारी से भागते हैं, वे उन्हें नैतिकता का पाठ न पढ़ाएं।
क्या है 130वां संविधान संशोधन विधेयक?
20 अगस्त को लोकसभा में प्रस्तुत 130वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार,
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यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार होता है,
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या 30 दिन से अधिक हिरासत में रहता है,
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तो उसे पद छोड़ना होगा।
सरकार का दावा है कि वर्तमान कानून में इस संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जिससे शासन की पारदर्शिता पर असर पड़ता है।
धनखड़ के इस्तीफे पर दी सफाई
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर उठे राजनीतिक कयासों पर भी अमित शाह ने स्पष्ट किया कि,
“धनखड़ ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया, इसमें राजनीति नहीं खोजी जानी चाहिए।”
संसद में CISF तैनाती और वामपंथी घटनाओं पर प्रतिक्रिया
शाह ने संसद में CISF की तैनाती और मार्शलों की बढ़ती भूमिका पर भी बात करते हुए कहा कि यह निर्णय सदन के अध्यक्ष के निर्देश पर होता है। उन्होंने संसद में स्प्रे करने की घटना को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और कहा कि तीन बार चुनाव हारने के बाद विपक्ष हताशा में काम कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रेड्डी पर निशाना
इंडिया ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सुर्दशन रेड्डी को भी शाह ने आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा कि रेड्डी ने सलवा जुडूम को खारिज कर, आदिवासियों के आत्मरक्षा अधिकार को खत्म किया, जिससे नक्सलवाद को बल मिला।
निष्कर्ष:
गृहमंत्री अमित शाह का यह बयान साफ संकेत देता है कि सरकार अब संवैधानिक नैतिकता और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को लेकर सख्त रुख अपनाने के मूड में है। विपक्ष को भी यह तय करना होगा कि वह लोकतंत्र की रक्षा करेगा या राजनीतिक स्वार्थों के लिए नैतिकता की सीमाओं का अतिक्रमण करेगा।