राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में बड़ी सुरक्षा चूक, युवक ने जबरन किया शारीरिक संपर्क
बिहार में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा को लेकर जबरदस्त जनसमर्थन देखने को मिल रहा है। पूर्णिया जिले में यात्रा के दौरान एक गंभीर सुरक्षा चूक सामने आई, जब एक युवक भीड़ से निकलकर राहुल गांधी के करीब पहुंच गया और उनके गाल पर किस कर दिया।
राहुल गांधी उस समय बुलेट मोटरसाइकिल चला रहे थे। घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को हैरान कर दिया। तत्परता दिखाते हुए SPG के जवानों ने युवक को तुरंत पीछे हटाया और उसे कड़ी फटकार लगाई। इस अप्रत्याशित घटना के बावजूद यात्रा को जारी रखा गया।
अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस: चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप
- Advertisement -
पूर्णिया की घटना के बाद राहुल गांधी ने अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग (EC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर गरीब, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और मजदूर वर्ग के लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं, और यह सब SIR (स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ रिफॉर्म्स) के जरिए हो रहा है।
“EC और BJP विपक्ष के वोट खत्म कर रहे हैं”
राहुल गांधी ने दावा किया कि SIR एक संगठित तरीके से वोट चोरी का साधन बन चुका है। उन्होंने कहा कि अब तक उनकी यात्रा में हजारों ऐसे लोगों से उनकी मुलाकात हुई है जिनके नाम बिना कारण हटा दिए गए हैं। उनका आरोप था कि BJP को इस प्रक्रिया से कोई आपत्ति नहीं, क्योंकि चुनाव आयोग और बीजेपी के बीच गठजोड़ है।
चुनाव आयोग से कोई जवाब नहीं मिला
राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र से जुड़े एक लाख फर्जी वोटर्स का डेटा चुनाव आयोग को सौंपा, लेकिन आयोग ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उल्टा, प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में ही चुनाव आयोग ने उनसे शपथपत्र (एफिडेविट) की मांग की।
“अनुराग ठाकुर से एफिडेविट क्यों नहीं मांगा गया?”
उन्होंने सवाल उठाया कि जब बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में फर्जी वोटर्स की बात कही, तो चुनाव आयोग ने उनसे एफिडेविट क्यों नहीं मांगा? उन्होंने इसे चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण भूमिका का प्रमाण बताया और कहा कि आयोग अब स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था नहीं रह गई है।
“SIR बना है वोट चोरी का औजार”
गांधी ने दावा किया कि SIR संस्थागत स्तर पर वोटरों को सूची से हटाने का जरिया बन गया है। उनके अनुसार, बिहार में करीब 65 लाख नाम हटाए गए हैं, लेकिन बीजेपी की ओर से इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। इसका कारण उन्होंने चुनाव आयोग और सत्तारूढ़ दल के बीच ‘साझेदारी’ को बताया।