राजस्थान में नई भूमि आवंटन नीति लागू, निजी निवेशकों और संस्थाओं को अब तय दरों पर ही मिलेगी जमीन
राजस्थान सरकार ने राज्य में भूमि आवंटन को लेकर एक नई और सख्त नीति को मंजूरी दी है, जिसमें अब सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं, ट्रस्टों और निजी निवेशकों को फ्री या बेहद कम कीमत पर जमीन नहीं दी जाएगी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में यह नीति पारित की गई, जिसमें पहली बार आवंटन की दरें और क्षेत्रफल की स्पष्ट सीमाएं तय की गई हैं।
नई नीति के तहत अब शैक्षणिक, चिकित्सा, सार्वजनिक व पर्यटन सुविधाओं के लिए अधिकतम 40 प्रतिशत रियायती दर पर जमीन आवंटित की जा सकेगी, वह भी केवल स्थानीय निकाय अथॉरिटी के माध्यम से। इससे अधिक रियायत या विशेष मामले अब केवल मुख्यमंत्री की स्वीकृति से ही संभव होंगे। मंत्रियों या कैबिनेट सब कमेटी को अब भूमि आवंटन में पहले जैसी छूट नहीं होगी।
बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए निवेश की अनिवार्यता
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब बड़े शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों को भूमि तभी दी जाएगी जब वे न्यूनतम निवेश की गारंटी देंगे। जैसे कि:
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यूनिवर्सिटी खोलने के लिए कम से कम ₹300 करोड़ का निवेश और 20 एकड़ तक की मांग की जा सकेगी।
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मेडिकल कॉलेज या बड़े अस्पताल के लिए कम से कम ₹500 करोड़ का निवेश जरूरी होगा।
राजनीतिक दलों को भी तय सीमा में भूमि
राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को अब राजधानी जयपुर में अधिकतम 6000 वर्गमीटर, संभागीय मुख्यालय में 3000 वर्गमीटर और जिला मुख्यालयों पर 2000 वर्गमीटर तक ही जमीन दी जा सकेगी। इसमें भी विकसित भूमि के लिए आरक्षित दर पर 15% अतिरिक्त राशि और अविकसित भूमि के लिए कृषि दर पर 20% अतिरिक्त राशि देनी होगी।
नई नीति की खास बातें
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पहली बार आंशिक भूमि निरस्तीकरण का प्रावधान किया गया है। अगर आवंटित जमीन का पूरा उपयोग नहीं किया गया तो शेष हिस्सा सरकार वापस ले सकती है।
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अब तक मंत्री या कैबिनेट सब कमेटी 50% से कम दर पर भूमि आवंटन कर सकती थी, लेकिन अब वह अधिकार सीमित कर दिया गया है।
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सरकारी, अर्द्ध सरकारी संस्थानों को भी सीमित क्षेत्रफल तक ही नि:शुल्क भूमि दी जा सकेगी और वह निर्णय स्थानीय निकाय स्तर पर होगा।
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फर्जी दस्तावेज़ों और न्यूनतम उपयोग के मामलों को रोकने के लिए अब आवंटन से पहले सख्त जाँच की जाएगी।
सरकार का मकसद
यह नीति कांग्रेस शासनकाल में कौड़ियों के दाम पर की गई जमीन आवंटनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाई गई है। भाजपा सरकार की मंशा है कि राज्य की भूमि का उपयोग सार्वजनिक हित में हो और निवेश को बढ़ावा मिले, लेकिन पारदर्शिता और नियमन के साथ।
नई भूमि नीति के लागू होने से अब मनमाने आवंटनों पर रोक लगेगी और केवल योग्य संस्थाओं और निवेशकों को ही नियमों के अनुसार भूमि मिल सकेगी।