शिक्षकों के सोशल मीडिया उपयोग पर शिक्षा विभाग की सख्ती, आदेश जारी
राज्य के सरकारी शिक्षकों और शिक्षा विभाग के कार्मिकों को लेकर एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की तैयारी सामने आई है। शिक्षा विभाग ने सभी जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर शिक्षकों और कर्मचारियों के सोशल मीडिया उपयोग को लेकर सख्त निर्देश दिए हैं।
क्या है नया आदेश:
शिक्षा विभाग के अनुसार, सभी राजकीय शिक्षक और कार्मिक यह सुनिश्चित करें कि वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स (जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम) और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर किसी भी प्रकार की:
-
अवांछित पोस्ट
-
राष्ट्र विरोधी सामग्री
- Advertisement -
-
संविधान विरोधी चैट या बयान
न साझा करें और न ही उसका समर्थन करें।
इसका उद्देश्य सरकारी सेवा में रहते हुए शासन, प्रशासन और सामाजिक मर्यादा की गरिमा बनाए रखना है।
क्यों लिया गया यह फैसला:
हाल के दिनों में कुछ शिक्षकों द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को लेकर विवाद खड़े हुए थे। कुछ पोस्ट में राजनीतिक टिप्पणियां, संवेदनशील विषयों पर गैर-जिम्मेदाराना बयान और संविधान विरोधी सामग्री पाई गई, जिससे विभाग की छवि पर असर पड़ा।
इन्हीं घटनाओं को देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह एहतियाती निर्देश जारी किया है।
नियम तोड़ने पर हो सकती है कार्रवाई:
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई शिक्षक या कर्मचारी इन निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
-
चेतावनी
-
वेतनवृद्धि रोक
-
निलंबन
-
सेवा से बर्खास्तगी जैसे कड़े कदम भी उठाए जा सकते हैं।
यह कदम सरकारी कर्मचारियों के लिए पहले से मौजूद राजकीय सेवा आचरण नियमावली के अंतर्गत लिया गया है।
शिक्षकों की भूमिका केवल शैक्षणिक नहीं, सामाजिक भी:
शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षक न सिर्फ विद्यार्थियों के भविष्य निर्माता होते हैं, बल्कि समाज के प्रति भी उनकी एक उत्तरदायी भूमिका होती है। इसलिए उनका सोशल मीडिया पर व्यवहार भी आदर्श और अनुकरणीय होना चाहिए।
निष्कर्ष:
शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि सरकारी शिक्षक और कर्मचारी सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी का उपयोग जिम्मेदारी से करें। विभाग किसी भी अवांछनीय, उकसाने वाली या संविधान विरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह आदेश सभी जिला अधिकारियों को भेज दिया गया है और इसके पालन की नियमित मॉनिटरिंग भी की जाएगी।