आरबीआई के नए एटीएम नियम लागू, फ्री ट्रांजेक्शंस की सीमा के बाद बढ़ेगा चार्ज
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एटीएम से जुड़े नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए हैं, जिनका सीधा असर बैंक ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा। यदि आप एटीएम से बार-बार पैसा निकालते हैं, तो इन नए नियमों को जानना जरूरी है, क्योंकि फ्री लिमिट के पार जाने पर अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों के लिए अलग फ्री लिमिट
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मेट्रो शहरों (जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु) में
ग्राहकों को प्रति माह 3 फ्री एटीएम ट्रांजेक्शंस की अनुमति है। -
नॉन-मेट्रो शहरों में यह सीमा 5 फ्री ट्रांजेक्शंस प्रति माह है।
इसमें फाइनेंशियल (जैसे नगद निकासी) और नॉन-फाइनेंशियल (जैसे बैलेंस इन्क्वायरी, पिन चेंज) दोनों तरह के ट्रांजेक्शन शामिल हैं।
फ्री लिमिट के बाद चार्ज क्या होगा?
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फ्री लिमिट खत्म होने के बाद बैंक प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर अधिकतम ₹23 तक का शुल्क ले सकते हैं।
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इसके अलावा जीएसटी अलग से लिया जाएगा।
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उदाहरण के लिए:
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पीएनबी ₹23 फाइनेंशियल और ₹11 नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर चार्ज करता है।
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एचडीएफसी बैंक ₹23 प्रति ट्रांजेक्शन लेता है।
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एसबीआई अभी भी पुरानी शुल्क संरचना का पालन कर रहा है।
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कैश डिपॉजिट और रिसाइक्लर मशीन से लेनदेन
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कैश रिसाइक्लर मशीन पर किए गए कैश डिपॉजिट आमतौर पर फ्री होते हैं।
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लेकिन यदि निकासी फ्री लिमिट से अधिक होती है, तो वही चार्जेज लागू होंगे।
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नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस को भी लिमिट में गिना जाता है।
अधिक कैश लेनदेन पर पहचान जरूरी
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यदि आप एक वित्तीय वर्ष में ₹20 लाख या उससे अधिक की जमा या निकासी करते हैं, तो आपको पैन नंबर या आधार नंबर अनिवार्य रूप से देना होगा।
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यह नियम काले धन पर रोक और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।
कैसे बचें अतिरिक्त एटीएम चार्ज से?
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अपने ही बैंक के एटीएम का उपयोग करें, जिससे फ्री ट्रांजेक्शंस मिल सकें।
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डिजिटल बैंकिंग (UPI, नेट बैंकिंग, मोबाइल वॉलेट आदि) का अधिक से अधिक उपयोग करें।
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एटीएम ट्रांजेक्शंस पर नजर रखें और लिमिट क्रॉस करने से बचें।
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नगदी की तत्काल आवश्यकता न हो तो डिजिटल माध्यमों को प्राथमिकता दें।
निष्कर्ष:
आरबीआई के नए नियमों के अनुसार अब एटीएम ट्रांजेक्शन पर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आप फ्री लिमिट से अधिक एटीएम का उपयोग करते हैं, तो आपके ट्रांजेक्शन पर अतिरिक्त शुल्क लगेगा। ऐसे में समय पर ट्रांजेक्शन ट्रैक करना और डिजिटल विकल्पों का सहारा लेना ही समझदारी है।
