राजस्थान में शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप, ट्रांसफर बैन के बावजूद धड़ल्ले से हो रही पोस्टिंग – डोटासरा
जयपुर। राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा विभाग में ट्रांसफर और पदोन्नति को लेकर भ्रष्टाचार, राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक अनदेखी के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा घोषित ट्रांसफर बैन के बावजूद, विभाग में “बैकडोर” से मनचाही पोस्टिंग की जा रही है।
ट्विटर पर लगाए आरोप
डोटासरा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि वर्तमान सरकार के ट्रांसफर बैन आदेश के बावजूद रिश्वत और राजनीतिक सिफारिशों के आधार पर नियुक्तियां दी जा रही हैं, जबकि हज़ारों योग्य शिक्षकों को महीनों से नियुक्ति नहीं मिली है। उन्होंने इस मुद्दे को न सिर्फ शिक्षकों के सम्मान, बल्कि बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला बताया।
ये लगाए डोटासरा ने मुख्य 5 आरोप:
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ट्रांसफर बैन का उल्लंघन
ट्रांसफर रोक के बावजूद कुछ चुनिंदा लोगों को इच्छित स्थानों पर नियुक्त किया जा रहा है, वहीं पदोन्नत शिक्षक तैनाती के लिए महीनों से इंतजार कर रहे हैं।- Advertisement -
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डबल प्रिंसिपल की स्थिति
4,224 उप-प्राचार्यों को प्राचार्य पद पर प्रमोट तो कर दिया गया, लेकिन उन्हें उन्हीं स्कूलों में तैनात किया गया जहां पहले से प्रिंसिपल कार्यरत हैं। इससे कई स्कूलों में दो-दो प्रिंसिपल की स्थिति बन गई है। -
बिना तैनाती रिटायरमेंट और असमंजस
425 शिक्षक बिना तैनाती के सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि शेष लगभग 3,800 शिक्षक दो बार काउंसलिंग रद्द होने से भटकते रहे हैं। अब नई तारीख 25 अगस्त तय की गई है, पर रिक्त पदों की सूची अब तक जारी नहीं हुई। -
शिक्षक संघों का विरोध
इस गड़बड़ी के विरोध में कई शिक्षक संगठनों ने मुख्यमंत्री तक ज्ञापन सौंपा है। डोटासरा का आरोप है कि मुख्यमंत्री विभागीय मंत्री और आरएसएस के दबाव में कोई सख्त कदम नहीं उठा पा रहे। -
छात्रों का भविष्य खतरे में
डोटासरा का कहना है कि इस पूरी प्रणाली से न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था कमजोर हो रही है बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। विभाग की प्राथमिकता गुणवत्ता नहीं, कमाई बन गई है।
सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं
इस मामले पर अभी तक शिक्षा विभाग या राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, विभाग आगामी दिनों में रिक्त पदों की सूची और संशोधित काउंसलिंग शेड्यूल जारी कर सकता है।
निष्कर्ष
डोटासरा के आरोपों ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि इन दावों में सच्चाई है, तो यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि संस्थागत भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या कार्रवाई की जाती है।