राजस्थान पंचायत चुनाव पर सरकार-हाईकोर्ट आमने-सामने, खंडपीठ में आज होगी अहम सुनवाई
राजस्थान में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों को लेकर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। राज्य सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट की एकलपीठ के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसमें प्रदेश में शीघ्र चुनाव कराने के निर्देश दिए गए थे। अब इस अपील पर शुक्रवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ—जिसमें न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन और न्यायमूर्ति बलजिंदर संधू शामिल हैं—सुनवाई करेगी।
राज्य सरकार का तर्क: परिसीमन और नए जिलों का हवाला
राज्य सरकार ने अपील में कहा है कि प्रदेश में हाल ही में कई नए जिले बनाए गए हैं और पंचायतों एवं निकायों का परिसीमन चल रहा है, ऐसे में चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। सरकार का दावा है कि बिना परिसीमन के चुनाव करवाना व्यावहारिक नहीं होगा और इससे प्रतिनिधित्व में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
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हाईकोर्ट की एकलपीठ का आदेश: चुनाव टालना असंवैधानिक
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अपने आदेश में संविधान के अनुच्छेदों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों के चुनाव हर पांच साल में कराना अनिवार्य है। इसमें अधिकतम छह महीने की ही देरी की जा सकती है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश की प्रतिलिपि राज्य निर्वाचन आयोग और मुख्य सचिव को भेजी जाए।
राज्य निर्वाचन आयोग ने तेज की तैयारी
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने भी पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारियां तेज कर दी हैं। गुरुवार को आयोग ने जिला कलेक्टरों को जारी की जाने वाली गाइडलाइन के ड्राफ्ट पर अंतिम विमर्श किया। आयोग की ओर से चुनाव प्रक्रिया को लेकर जल्द अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना है।
वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने बयान दिया है कि पार्टी राज्य में ‘वन स्टेट-वन इलेक्शन’ मॉडल पर कानून बनाना चाहती है। उनका कहना है कि इससे बार-बार चुनाव होने के खर्च और व्यवधान से मुक्ति मिलेगी, जिससे सरकारें विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
309 निकायों में 2700 नए वार्ड, अधिसूचना जल्द
स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने जानकारी दी कि प्रदेश के सभी 309 नगरीय निकायों के परिसीमन प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिए गए हैं और अगले चार-पांच दिनों में अधिसूचना जारी होने की संभावना है। परिसीमन के बाद अब प्रदेश में 10,175 वार्डों में चुनाव कराए जाएंगे, जो 2019 में हुए 7,475 वार्डों की तुलना में 2,700 अधिक हैं।
वार्ड गठन की संरचना
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15,000 तक की जनसंख्या पर: 20 वार्ड
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35 लाख तक की आबादी पर: अधिकतम 150 वार्ड
ओबीसी आरक्षण आयोग का कार्यकाल बढ़ा
पंचायत व निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए गठित आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है। आयोग का गठन 9 मई को तीन माह के कार्यकाल के साथ किया गया था, लेकिन नए आदेश में देरी से भ्रम की स्थिति बन गई थी, जिसे अब स्पष्ट किया गया है।